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इन टिप्स को रखे अपने दिमाग में जो करेगा आपकी सहायता, आपके बेबी का ख्याल रखने में

जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है इस दौरान माँ को अपने नवजात शिशु का ध्यान काफी ज़्यादा रखना होता हैं और इस वजह से माता पिता काफी परेशान हो जातेहैं के वो किस प्रकार अपने बच्चे का ख्याल रख सकते हैं. बच्चे अपने आस पास की चीजों को समझना और पहले शब्द बोलना सीखते हैं. इस दौरान माता पिता कई सवालों से गुजरते हैं, यहाँ हम बताएंगे आपको उन सारे सवालो का जवाब हम आपको यहाँ बताएंगे.

नवजात शिशुओ का किस प्रकार रखे ध्यान:

मालिश करे:

बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है हर माँ अपने बच्चे की मालिश करना नहीं भूलती हैं , लेकिन माता पिता अक्सर इस परेशानी से गुजरते हैं कि बच्चे की मालिश कब और कैसे की जाए. शिशु को दूध पिलाने के बाद या उससे पहले मालिश ना करें. घी या बादाम तेल को हल्के हाथ से बच्चे के पूरे शरीर पर मलें. नहलाने से पहले मालिश करना अच्छा होता है, लेकिन सर्दियों में मालिश करते वक़्त बच्चा ज़्यादा देर खुला ना रहे इस बात का ध्यान ज़रूर रखे.

बच्चो को ध्यान से नहलाये:

नवजात शिशुओं की त्वचा बेहद नाजुक होती है और इसका ख्याल बहुत ज़्यादा धयान से रखने वाला होता हैं . बच्चे को बहुत ज्यादा देर तक पानी में नहलाने से वह सूख सकती है. ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म ना हो और बहुत ज़्यादा ठंडा ना हो . शुरुआती तीन हफ्ते में गीले कपड़े से बदन पोंछना काफी है. अगर आप बेबी शैंपू का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक हाथ से बच्चे की आंखों को ढक लें. नहाने के बाद बच्चे बेहतर नींद सो पाते हैं.

आराम से बच्चे को सुलाएं:

माता पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, ख़ास कर रात को , वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं. लेकिन आपको इन सब की कोई जरूरत नहीं. बहुत ज्यादा गर्मी बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. इसिलए बच्चो आराम से सुलाए

रोने से घबराये नहीं:

सब बच्चे ही रोते हैं कुछ बच्चे ज़्यादा रोते हैं अगर आपका बच्चा ज़्यादा रो रह हैं तो इसमें घबराने वाली बात नहीं ,एक विशेषज्ञ के अनुसार बच्चे रोने के लिए प्रोग्राम्ड होते हैं. उनके रोने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि यह उनका आपसे बात करने का तरीका है अगर उनके मुंह में पैसिफायर लगा हो तो बच्चे कम रोते हैं. इसीलिए आप घबराये नहीं और उनकी बात समझने का प्रयास करे.

दांतों की देखभाल इस प्रकार करे:

यहाँ हम आपको बताएंगे के आप अपने बच्चे के दांतो का ख्याल किस प्रकार रख सकते हैं, कई बार मां बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं. दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं इसलये उन्हें किस प्रकार का ब्रश देना हैं इस बात का भी ख़याल रखे और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. जब आपके बच्चे के दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें. अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें दांत साफ़ करना बेहद ज़रूरी हैं.

रंगों के बीच:

बच्चे का सबसे पहले स्कूल उसका घर होता हैं वो बोलना, बात करना या चलना फिरना अपने घर से ही सीखता हैं इसी प्रकार बच्चों के आसपास रंग होना अच्छा है. आठ से नौ महीने के होने पर बच्चे अलग अलग तरह के रंग, सुगंध, शोर और स्पर्श को पहचानने लगते हैं. यही उन्हें सिखाने का सही समय भी है.

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बच्चे को दें खेलने का मौका:

अगर आप अपने बच्चे को खेलने से रोकती हैं तो यह ना करे क्योंकि सभी बच्चे खेल-खेल में ही बहुत साड़ी बातो को सीखते हैं वो उस समय गुस्से, ख़ुशी जैसे हाव भाव को भी पहचानते हैं, इसिलए उन्हें खेलने दें, बच्चों से बात करते हुए मुस्कुराएं और उनकी आंखों से संपर्क बना कर रखें. याद रखें कि बच्चे बोल नहीं सकते, इसलिए आंखों के जरिए संवाद करते हैं.

अपने साथ पढ़ने दें:

आप अपने बच्चे के साथ खूब बाते करे जब वो कोई शब्द निकाले तो उन्हें दोहराये और उन्हें नए शब्द सिखाये.
इस तरह बच्चे का जल्द ही भाषा के साथ जुड़ाव बन सकेगा. किताबों से पढ़ कर कहानियां सुनाने के लिए बच्चे के स्कूल पहुंचने का इंतजार ना करें. छोटे बच्चे इन कहानियों के जरिए नई आवाजें और शब्द सीखते हैं, इस प्रकार आप उन्हें बोलना जल्दी सीख सकती हैं.

इस प्रकार सिखाये बच्चे को ब्रश करना:

बच्चों को नई-नई चीजें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ वही चीज करना. बच्चे देख कर वही चीज दोहराते हैं. इसी तरह से आप उन्हें कसरत करना भी सिखा सकते हैं. शुरुआत में ध्यान लगने में वक्त लग सकता है लेकिन बाद में बच्चे नई चीजें करने में आनंद लेने लगते हैं, इस प्रकार आप जब भी ब्रश कर रहे हो तो अपने नन्हे मुन्ने के लिए भी एक ब्रश ला कर उसे ब्रश दें इस प्रकार वो आपको देखा देखी ब्रश करना भी सीखने लगते हैं.

बच्चे का वो पहला कदम:

सबसे ज़्यादा मम्मी पापा को ख़ुशी तब ही होती हैं जब उनका बच्चा पहला कदम चलता हैं, जब तक बच्चे चलना नहीं सीख लेते उन्हें जूतों की जरूरत नहीं होती. लेकिन इन दिनों फैशन के चलते माता पिता नवजात शिशुओं के लिए भी जूते खरीदने लगे हैं. शिशुओं के लिए मोजे ही काफी होते हैं. ये उनके लिए आरामदेह भी होते हैं, और शुरुआत में उन्हें चलने में भी मदद करते हैं.

हो आपके बच्चे का पहला जन्मदिन:

बच्चे आपकी तरह देर तक पार्टी नहीं कर सकते हैं, वे जल्दी थक जाते हैं और भीड़ से ऊब भी जाते हैं कई बच्चो को तो भीड़ से दर भी लगता हैं इसलये अपने बच्चे के स्वभाव को जानिये और उसी हिसाब से उसकी फर्स्ट बर्थडे की पार्टी प्लान करिये . इस प्रकार अपने बच्चे की पहली बर्थडे पार्टी को एक से दो घंटे तक ही सीमित रखें ताकि पार्टी बच्चे की मुस्कराहट का कारण बने, आंसुओं का नहीं.

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