अनियमित माहवारी और देर से माहवारी आने का अर्थ है माहवारी चक्र की अवधि में बदलाव होना. सामान्यतया महिला में मासिक चक्र की अवधि 28 से 30 दिनों तक की होती है. हर महिला के मासिक चक्रों में 8 दिनों का अंतर होता है. लेकिन 8 से 20 दिनों तक के अंतर को अनियमित माहवारी कहा जाता है जो की एक बड़ी समस्या हैं जिसके कारण महिलाओं को कई प्रकार की बीमारियाँ घेर लेती हैं.
ज्यादातर अनियमित माहवारी के लक्षण होते हैं, जल्दी-जल्दी माहवारी आना, दाग लगना, रक्त के थक्कों का आना. यह समस्या हार्मोन में असंतुलन के कारण हो सकती है और आसानी से ठीक हो जाती है अगर आप इसका लग कर इलाज कर ले तो.
कुछ महिलाओं के जीवन में बिना कारण ही उन्हें किसी किसी महीने माहवारी नहीं होती है साल में किसी एक महीने में माहवारी का ना आना सामान्य है, लेकिन दो से तीन बार माहवारी में अनियमितता होना सही नहीं, उसका उपचार करने की जरूरत है.
आयुर्वेद के उपाय अनियमित माहवारी के लिए
महिला की माहवारी में अनियमितता के पीछे सबसे अधिक जिम्मेदार कारक अस्वस्थ खानपान और खाने का ठीक से ना पचना है. अगर खाना सही तरीके से नहीं पच पाया तो यह शरीर में मौजूद टॉक्सिंस के उत्पादन को प्रभावित करता है और यही टॉक्सिंस रक्त कोशिकाओं में मिल जाता है जिसके कारण खून में रुकावट और ठहराव हो जाता है.
आयुर्वेद के जरिये पाचन संबंधी इन्हीं विकारों को दूर करके अनियमित माहवारी को नियमित किया जा सकता है इसके लिए आपको इन चीजों की ज़रूत होगी.
किशमिश का प्रयोग
पुरानी किशमिश को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे लगभग 200 मिली पानी में रातभर भिगोयें, सुबह इसे उबालकर रख लें. जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए तो छानकर इसका सेवन कीजिए इससे यह समस्या संपत हो जाती हैं.
तिल है फायदेमंद
काला तिल 5 ग्राम लेकर गुड़ में मिलाकर माहवारी शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करें, जब मासिक धर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर दें, इससे माहवारी ना तो देर से आयेगी और ना ही अनियमित होगी
चौलाई की जड़
चौलाई की जड़ को छाया में सुखाकर बारीक पीस लीजिये, इसे लगभग 5 ग्राम मात्रा में सुबह के समय खाली पेट माहवारी शुरू होने से लगभग 7 दिनों पहले सेवन कीजिए जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर दीजिए, इससे मासिक धर्म समय पर होगा.
असगंध
असगंध और खाण्ड को बराबर मात्रा में लेकर इसे बारीक पीस लें, फिर इसे 10 ग्राम लेकर पानी से खाली पेट मासिक धर्म शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले लें, जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तब इसका सेवन ना करे .
रेवन्दचीनी
रेवन्दचीनी 3 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय खाली पेट माहवारी शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले सेवन करें. जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए. इससे मासिक-धर्म के सभी विकार दूर हो जाते हैं और इन दिनों जो दर्द होता हैं उसे भी छुटकारा मिल जाता हैं.
कपूरचूरा:
आधा ग्राम कपूरचूरा में मैदा मिलाकर 4 गोलियां बनाकर रख ले फिर प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गोली का सेवन मासिक धर्म शुरू होने से लगभग 4 दिन पहले करें, मासिक-धर्म शुरू होने के बाद इसका सेवन बंद कर दीजिए, इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं.
विदारीकन्द
विदारीकन्द का चूर्ण 1 चम्मच और मिश्री 1 चम्मच दोनों को पीसकर 1 चम्मच घी के साथ मिला लीजिए, इसे रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से मासिक-धर्म में अधिक खून आना बंद होता है और माहवारी नियमित हो जायेगी और यह समस्या खत्म हो जायेगी
अनियमित माहवारी की समस्या से अगर आप जूझ रही हैं तो एक बार चिकित्सक से सलाह अवश्य लीजिए
Ayurvedic is best for the treatment of irregular period and period disorder use these remedies to make it right.
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