चिकनगुनिया पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंता का विषय बन रहा है कोई भी व्यक्ति एक संक्रमित मच्छर के काटने से चिकनगुनिया वायरस को ग्रहण कर सकता है आम बुखार से सिरदर्द और बदन दर्द होता है, लेकिन अगर बुखार चिकनगुनिया या डेंगू के कारण हो, तो शरीर का हर अंग और हर जोड़ दर्द करता है चिकनगुनिया का मरीज बुखार से ठीक होने के बाद भी जोड़ो में होने वाले दर्द की वजह से 15 से 20 दिनों तक ठीक से चल फिर नहीं पाता. कभी-कभी ये दर्द साल भर तक रहता है.
चिकनगुनिया और डेंगू जैसे बुखार से बचेने के अनेक तरीके :
- अपने घर और कम्युनिटी के आस-पास सामान्य साफ़-सफाई रखें.
- मच्छरों के प्रजनन स्थलों को ढूंढकर यथासंभव मच्छरों और उनके अण्डों को नष्ट कर दें.
- अपने तालाब या पानी वाली जगहों में कुछ मछलियों को जगह दें: मच्छरों को नियंत्रित रखने के लिए मछलियाँ बहुत अच्छा विकल्प होती हैं.
- अपने घर या पलंग के नीचे माँस्किटो ट्रैप्स का उपयोग करें.
- लम्बे और सुरक्षात्मक कपड़े पहने आप लम्बे पैन्ट्स और लम्बी आस्तीनों वाली शर्ट जैसे कपडे पहनकर मच्छरों के काटने से बच सकते हैं.
- सोते समय विशेषरूप से, मच्छरदानी का उपयोग करें आपके बिस्तर के चारों ओर लगी हुई मच्छरदानी सोते समय आपको मच्छरों के काटने से बचाएगी.
- मच्छर-मारक लोशन और स्प्रे का उपयोग करें मच्छर-मारक में “पिकारिडिन” नामक सामग्री केवल 15% ही होना चाहिए जिससे स्किन की उत्तेजना से बचा जा सके.
- जिन स्थानों पर आमतौर पर मच्छर नहीं होते उन स्थानों पर स्थानांतरण करें: अगर आप एक नया घर ढूंढ रहे हैं तो ऐसी जगह चुनें जहाँ ठहरे हुए पानी के बड़े स्त्रोत जैसे कच्छभूमि, दलदल, और जंगल न हों.
चिकनगुनिया के दर्द से उबरने के लिए आजमाएं ये बेहद आसान तरीक :
आयुर्वेद में ऐसे कई रोगों को इलाज मौजूद होने की बात कही जाती है, जिनके बारे में आधुनिक चिकित्सीय विज्ञान अभी तक मौन है, चिकनगुनिया भी उनमें से एक है आप को बता दे की सारी दुनिया में करोड़ों लोग आयुर्वेदिक चिकित्सीय पद्धति का फायदा उठाते हैं आयुर्वेदिक चिकित्सा में मुख्यत: शाकाहारी औषधियां ही शामिल होती हैं, ऐसे में इन दवाओं का सेवन सामान्यत सुरक्षित ही होता है.
आयुर्वेद में चिकनगुनिया को संधि-ज्वर कहा जाता इसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘जोड़ों का बुखार’ आयुर्वेदिक इलाज के जरिये इस बीमारी में राहत पायी जा सकती है काफी लोगों का मानना है कि चिकनगुनिया के इलाज में आयुर्वेदिक तरीके काफी प्रभावशाली होते हैं
‘वात दोष है चिकनगुनिया’
आयुर्वेद में रोग की मुख्य वजह मानी जाती हैं वात, कफ और पित्त अब अगर आयुर्वेदिक नजरिये से देखें, तो चिकनगुनिया को ‘वात दोष’ कहा जाता है वात रोग होने के कारण रोगी को ऐसा भोजन अपनाने की सलाह दी जाती है, जो वात बढ़ने से रोके.
तरल पदार्थों का सेवन करें
इसमें रोगी को अपने आहार में आवश्यक परिवर्तन करने की सलाह दी जाती है रोगी को आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाने का सलाह दिया जाता है इसके साथ ही उसे कहा जाता है कि वह सब्जियों का सेवन भी अधिक करे चिकनगुनिया के रोगी को चाहिए कि वह तैलीय भोजन, चाय व कॉफी का सेवन कम से कम करे.
मसाज दिलाये दर्द से राहत
आयुर्वेदिक मसाज को चिकनगुनिया के कारण जोड़ों में होने वाले दर्द में मददगार समझा जाता है आयुर्वेदिक मसाज में कई औषधियों के अर्क को तेल में मिलाकर उससे रोगी के शरीर की मसाज की जाती है इससे रोगी को दर्द में तो राहत मिलती ही है साथ ही पहले से अधिक शक्तिशाली महसूस करने लगता है.
आयुर्वेदिक दवाएं
इस बुखार से लड़ने के लिए आमतौर पर आयुर्वेद में विलवदी गुलिका , सुदर्शनम गुलिका और अमृतरिष्ठाव दिया जाता है लेकिन, अनुभवी चिकित्सक ही आपको बता पाएगा कि आपको इन दवाओं का कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए और साथ ही इन दवाओं के सेवन के साथ आपको किस प्रकार की अन्य सावधानियां बरतनी पड़ेंगी.
प्राकृतिक जड़ी बूटियां
तुलसी, गाजर, अंगूर आदि को चिकनगुनिया और इससे होने वाले दर्द में काफी राहत पहुंचाने वाला माना जाता है क्योंकि ये सब प्राकृतिक औषधियां हैं, इसलिए इन्हें आजमाने में कोई हानि नहीं है.
पाउडर और चूर्ण
चिकनगुनिया के इलाज में आयुर्वेदिक चूर्ण इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है योगीराज गुगुलू और सुदर्शन चूर्ण को इस बुखार में काफी उपयोगी माना जाता है अर्जुन छाल भी इस वायरल काफी लाभदायक मानी जाती है इसके साथ ही हल्दी, आंवला, लहसुन आदि के पाउडर भी इस रोग से उबरने में सहायता प्रदान करते हैं.
Herbs such as Sacred Basil (Tulsi), Carrot and Grapes are usually recommended as a relief for the pain and fever. Since these are natural herbs there is little risk in trying them out.
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