हमारे हाव-भाव का सबसे ज्यादा असर पड़ता है हमारी आंखों और होठों के आसपास की कोशिकाओं पर और इसी का असर होता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ चेहरे पर झुर्रियां साफ नजर आने लगती हैं और हम बूढ़े दिखने लगते हैं उम्र के चौथे दशक तक जाते-जाते त्वचा का कसाव ढीला पड़ने लगता है इसके साथ ही त्वचा की परत पतली हो जाती है जिससे चेहरे की नमी और तैलीयता समाप्त हो जाती है़ नतीजतन त्वचा रूखी और बेजान लगने लगती है और हमारी खूबसूरती मिट जाती है.
उम्र के साथ सोच का भार और चिंता भी बढ़ती है, जिसका असर चेहरे की सुंदरता पर पड़ता है वही कम उम्र के युवक-युवतियों-बच्चों के चेहरे खिले-खिले और झुर्री रहित दिखाई देते हैं, वहीं उम्रदराज लोगों के सलवटों से भरे तनावग्रस्त चेहरे कभी-कभी क्रूर भी दिखाई देने लगते हैं और कुछ लोग तो वक़्त के पहले ही बूढ़े दिखने लगते हैं.
अब भला ऐसे चेहरों को कौन पसंद करेगा. बढ़ती उम्र शरीर पर, खासकर चेहरे पर अपना असर डालते हुए त्वचा के कसाव को कम कर उसमें ढीलापन ले आती है जबकि उम्र का बढ़ना एक नेचुरल प्रोसेस है, हर व्यक्ति को इसका सामना करना पड़ता है.
Botox Treatment In Delhi:
एक दौर था, जब उम्र छुपाने के लिए बालों में डाई लगाया जाता था और खूबसूरती सिर्फ किस्मत वालों के लिए समझी जाती थी. लेकिन अब विज्ञान के दम पर भी सुंदरता हासिल की जाने लगी है पहले ये ट्रीटमेंट सिर्फ सेलिब्रिटीज ही लिया करते थे लेकिन अब आम लोग भी इसका उपयोग करने लगे हैं. विज्ञान के इस बेहतरीन चमत्कार का नाम है बोटोक्स.
बीते कुछ सालों से बोटोक्स काफी चलन में है जिसके द्वारा आप खूबसूरत और जवान आसानी से बन सकते हैं. दुनिया के कई मुल्कों में यह काफी पसंद किया जाता है और भारत में भी इसके चाहने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
इसमें आमतौर पर 1 से 3 इंजेक्शन हर मांसपेशी में लगाए जाते हैं और इन्हें लगाते समय जो मामूली-सा दर्द होता है, उसे दूर करने के लिए एनेस्थीसिया का सहारा लिया जाता है जिससे आपको ज़रा भी दर्द का एहसास नहीं होता हैं सुइयों के निशान भी एक-दो दिन में समाप्त हो जाते हैं.
कैसे होता है ट्रीटमेंट:
हमारे Best Dermatologist in Delhi का कहना है कि त्वचा की कमनीयता बनाए रखने के लिए है बोटोक्स ट्रीटमेंट किया जाता है और कॉस्मेटिक सर्जन बड़ी एक्सपर्टाइज से यह ट्रीटमेंट करते हैं.
यह ट्रीटमेंट तीस वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों के लिए ही है जो अपने आपको हमेशा के लिए यंग और खूबसूरत रखना चाहते हैं इस ट्रीटमेंट का लाभ पुरुष और महिलाएं दोनों उठा सकते हैं.
इसमें इंजेक्शन द्वारा मांसपेशियों को ढीला और गतिहीन किया जाता है, इसमें मसल्स की एक्टिविटी को रोक दिया जाता है इंजेक्शन लगाने से पहले कुछ डॉक्टर्स अनेस्थिसिया का उपयोग करते है. इंजेक्शन के निशान शीघ्र ही साफ हो जाते हैं.
बात बोटॉक्स की:
बोटॉक्स (बोटोलिनम टॉक्सिन) एक न्यूरोटॉक्सिक प्रोटीन है, जिसे बैक्टेरियम क्लॉस्ट्रिडियम बोटोलिनम और अन्य संबंधित प्रजातियों द्वारा उत्पन्न किया जाता है और एक न्यूरोटॉक्सिन के तौर पर इंजेक्ट किए जाने पर बोटॉक्स उस पूरे इलाके की मांसपेशियों को कमजोर कर देता है.
जैसे भौंहें, माथे और आंखों के आसपास मांसपेशियों के सिकुडऩे से चेहरे के हावभाव के साथ चेहरे पर मौजूद झुर्रियां और बारीक लाइनें स्पष्ट हो जाती हैं और जब ये मांसपेशियां बोटॉक्स इंजेक्शन की वजह से कमजोर हो जाती हैं, तब वे इनएक्टिव हो जाती हैं और इस वजह से बारीक लाइनें और झुर्रियां खत्म हो जाती हैं. बोटॉक्स का असर चार से छह महीनों तक बना रहता है.
रिजल्ट, रिकवरी और सेशंस:
बोटॉक्स ट्रीटमेंट लेने के बाद एक सप्ताह के बाद इसका असर सामने आने लगता है और इसके परिणामों को बनाए रखने के लिए नियमित सेशंस लेने होते हैं चार से छह महीने के बाद अगला सेशन किया जा सकता है.
नियमित उपचारों के साथ मांसपेशियों को नई ऊर्जा मिलती है और दो इलाज सेशंस के बीच अंतराल बढ़ जाता है. बोटॉक्स उपचार क्लिनिक में किया जा सकता है. आप इलाज के तत्काल बाद सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकते हैं और फ़ौरन ही अपने काम में लौट सकते हैं.
बोटोलिनम टॉक्सिन कोई नया प्रोडक्ट नहीं है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम संबंधी गड़बडिय़ों को ठीक करने के लिए इनका इस्तेमाल लंबे समय से किया जाता रहा है.
इसलिए इनका इस्तेमाल करना सेफ है और इससे लंबी अवधि में कोई नुकसान नहीं होता है बोटॉक्स से इलाज किए जाने वाले हिस्सों में मुख्य रूप से माथा, भौहों के बीच की लाइन और क्रोज फीट हैं. इस उपचार से अन्य हिस्सों को भी बेहतर बनाया जा सकता है.
इन बातो का ध्यान रखें:
अगर आप एक्सपर्ट डॉक्टर से यह ट्रीटमेंट करवाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं.
एस्प्रिन या खून पतला करने की दवाइयां खा रहे हों तो इन्हें सात दिन पहले बंद कर दें ट्रीटमेंट लेने के पहले.
इंजेक्शन लगने के चार से छह घंटे तक लेटना नहीं चाहिए, क्योंकि लेटने से दवा के आसपास की कोशिकाओं में जाने का खतरा होता है और ट्रीटमेंट खराब भी हो सकता है.
बोटोक्स का असर 48 से 72 घंटे में दिखना शुरू हो जाता है.
जिस स्थान पर इंजेक्शन लगाया गया है, वहां मसाज बिलकुल भी ना कराएं.
जिस मांसपेशी में इंजेक्शन लगाया गया है, उसे खूब इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दवा उसके अंदर तक चली जाए.
जिस स्थान पर बोटोक्स लेना है, वहां की त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण ना हो इस बात का धयान रखना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और दूध पिलाने वाली मां को यह ट्रीटमेंट नहीं करवाना चाहिए.
एक नजर इधर भी:
इंजेक्शन देने के समय सही तकनीक, सही डोज का खास ध्यान रखा जाए इसीलिए आपको एक्पर्ट से ही ट्रीटमेंट लेना चाहिए.
यह उपचार हर 4 से 6 महीने के अंतर में लेना पड़ता है तभी आप यंग लगेंगे.
बोटोक्स उपचार किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराया जाए तो सेफ और सक्सेसफुल होता है.
ट्रीटमेंट को रोक देने से त्वचा पर झुर्रियां फिर से उभर आती हैं.
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