हिजामा थैरेपी बहुत पुरानी थेरेपी यही इसके द्वारा कई बीमारियों को ठीक किया जाता हैं. इसको यूनानी चिकित्सा की एक महत्वपूर्ण पद्धति माना जाता रहा है और इस्लाम धर्म में भी हिजामा का एक महत्वपूर्ण स्थान है.
इस थेरेपी को अरबी में हिजामा, चीनी और अंग्रेजी में कपिंग, मिस्र में इलाज बिल कर्न व भारत में रक्त मोक्षण नाम से इसे जाना जाता है.
ब्लड सर्कुलेशन शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखता है और यह थैरेपी रक्तसंचार के अवरोध को खत्म कर अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाती है और इस चिकित्सा के तहत ब्लड में मौजूद विषैले पदार्थ, मृत कोशिकाओंं वा अन्य टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर रोगों से बचाव किया जाता है.
इससे नए ब्लड का निर्माण होता है और कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. साथ ही मसल्स और टिश्यू पर दबाव पडऩे से इनमें लचीलापन आता है और इसके कार्य में सुधार होता है इस थैरेपी के दौरान सावधानी की जरूरत होती है इसलिए इसे Best Dermatologist in Delhi से ही करवाएं ताकि किसी प्रकार की परेशानी ना हो.
इससे जुड़े डॉक्टर कम होने के कारण यह ज्यादा प्रचलित नहीं है और हाल ही में ओलंपिक तैराक फेल्प्स ने यह थैरेपी ली है, आईये आज जानते है इसके बारे में- कैसे काम करती है थैरेपी.
Cupping therapy in Delhi:
हिजामा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है‘खींचकर बाहर निकालना यानी शरीर से गंदे खून को बाहर निकालना. किसी भी इलाज में आमतौर पर खून चढ़ाया जाता है, लेकिन हिजामा थेरेपी में शरीर से खून निकालकर बीमारी को दूर किया जाता है.
माइग्रेन, जॉइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना और झनझनाहट जैसी बीमारी का इलाज मिनटों में संभव है इस ट्रीटमेंट को लेने के बाद आप बहुत स्वस्थ महसूस करेंगे.
सियाटिका, स्लिप डिस्क, सिरदर्द, चर्मरोग, स्पॉन्डिलाइटिस, किडनी, हृदय रोग, लकवा, मिर्गी, महिलाओं में इंफर्र्टिलिटी, माहवारी की समस्या, गर्भाशय व हार्मोनल विकार, अस्थमा, साइनुसाइटिस, मधुमेह, मोटापा, थायरॉइड की समस्या, पेट के रोग, चेहरे पर दाने व दाग-धब्बे और गंजेपन में यह थैरेपी कारगर है.
इस इलाज में दवा की कोई जरुरत नहीं होती है. इस ट्रीटमेंट की थ्योरी यह है कि शरीर में कई बीमारी की वजह खून का असंतुलन होता है और हम कपिंग थेरेपी के जरिए इस ब्लड को बैलेंस कर देते हैं और बीमारी ठीक हो जाती है और पेशंट को जल्द आराम मिल जाता है.
बीमारी के अनुसार गर्दन या गर्दन के नीचे या पीठ के हिस्सों में कपिंग की जाती है. कपिंग थेरेपी के लिए शीशे का कप यूज करके वैक्यूम पैदा किया जाता है ताकि कप बॉडी से चिपक जाए.
अब इस थेरेपी के लिए मशीन का यूज किया जाने लगा है. जिस पॉइंट पर बीमारी की पहचान होती है, वहीं पर कपिंग की जाती है और कपिंग करने के तीन से पांच मिनट बाद असंतुलित खून जमा हो जाता है.
इस जमे हुए खून को निकाल दिया जाता है. अगर बीमारी शुरुआती हो तो दो सेटिंग में बीमारी खत्म हो जाती है, वरना तीन-चार सेटिंग की जरुरत होती है. हिजामा थेरेपी नॅचुरल थेरेपी की सबसे पुरानी पद्घति है.
समय के साथ-साथ हम इस पद्घति को भूलते चले गए लेकिन अब समय आ गया है कि फिर से हिजामा थेरेपी को जिंदा किया जाए.
कपिंग थेरेपी के तरीके:
मोटे तौर पर कपिंग के दो प्रकार के होते हैं, ड्राई कपिंग और ब्लीडिंग या वैट कपिंग. इसमें से वेट कपिंग ज्यादा पॉपुलर है.
सामान्यतौर पर वैट कपिंग उपचारात्मक वा चिकित्सीय दृष्टिकोण पर आधारित होती है और ड्राई कपिंग चिकित्सीय तथा आराम पहुंचाने वाली पद्धति पर काम करती है
यह लगभग बिना पेनलेस ट्रीटमेंट है जिसमें इंजेक्शन से भी कम दर्द महसूस होता है. इससे किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होता है, इसमें प्रयोग होने वाले कप मेडिकेटेड व डिस्पोजेबल होते हैं.
अत: हर रोगी में अलग व नए कप प्रोवाइड किये जाते है, इससे इंफेक्शन नहीं होता है बचाव के लिए हिजामा के बाद त्वचा पर एंटीसेप्टिक क्रीम या लोशन भी लगाया जाता है.
जैसा की आप ऊपर पढ़ चुके हैं की Cupping therpapy के कितने सारे फायदे हैं अगर आप भी इस ट्रीटमेंट को लेना चाहते हैं तो हमारी क्लिनिक, Adorable clinic आपको सबसे Best Dermatologist प्रोवाइड करेगी जिनके द्वारा आपको एक सेफ और अच्छा ट्रीटमेंट प्रोवाइड किया जाएगा. अपना अपॉइंटमेंट शेडूल कराने के लिए इस नंबर पर कॉल करे 097111 50928.
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