डेंगू
डेंगू एक वायरल बुख़ार है जो कि एडीज मच्छर के काटने से होता है. यह बीमारी मच्छर द्वारा मानव शरीर में वायरस पहुँचने से पनपती है. एडीज मच्छर के काटने से यह बीमारी बहुत तेज़ी से फैलती है, डेंगू पहले तो सामान्य बुखार कि तरह लगता है लेकिन इसका असर शरीर पर बहुत खतरनाक होता है.
अगर इनका इलाज सही समय पर नही किया गया तो इससे मौत भी हो सकती है. यह रोग जून के महीने में पनपना शुरू होता है और मानसून के महीने तक अपना चरम प्रकोप दिखाना शुरू करता है.
डेंगू का कारण
गर्मी के बाद बदलता मौसम और मानसून के बाद जब मौसम दोबारा करवट लेता है तो अपने साथ कई बीमारिया लेकर आता है इस बदलते मौसम में पनपता है एडीज मच्छर जो अपने साथ फैलाता है डेंगू बुखार , ये बुखार बारिश के मौसम में और बदलते मौसम में फैलता है , एडीज मच्छर इस बीमरी की जड़ है , एडीज मच्छर जमे हुए पानी जैसे – कूलर में जमा पानी, नालों में खड़ा पानी, सड़क पर जमा पानी वगैरह में पैदा होते हैं औऱ बढ़ते हैं.
डेंगू के लक्षण
डेंगू के बुखार के लक्षण पहले चरण में सामान्य बुखार कि तरह ही लगता है ,इसलिए पहले के चरण में इसका पता लगाना मुश्किल है ,पहले चरण में डेंगू के लक्षण इस प्रकार के होते है.
- बुखार का टेम्परेचर चढ़ जाता है
- बुखार आने के वक्त ठंड लगने लगता है
- सर में बहुत दर्द होना
- मांसपेशियों या जोड़ों में बहुत दर्द होना
- ग्लैंड में दर्द या सूजन होना
- उल्टी होना
- भूख न लगना
- चक्कर आना
- ब्लडप्रेशर कम हो जाना
- शरीर में रैशज का होना
- खुजली होना
- कमजोरी होना
- पेट में तेज दर्द होना
- पेशीशूल
- लीवर में फ्लूइड का जमा होना
- सीने में फ्लूइड का जमा होना
- खून में प्लेटलेट्स का कम होना
डेंगू से बचाव के तरीके
यह रोग बरसात के मौसम में सबसे ज़्यादा फैलता है क्योंकि बारिश में जगह-जगह पर गन्दा पानी भरा होता है और उसी पानी में ये मच्छर जन्म लेते है. इन मच्छरों से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका इनको पनपने से रोकना है, इसलिए हमे अपने घरो को साफ़ सुथरा रखना चाहिए और कही भी पानी को जमा नही होने देना चाहिए. चाहे वो कूलर का पानी हो या फूल के गमलो का पानी हो या बाल्टी का हमें पानी को खाली करते रहना चाहिए. अपने घरो के आस पास की जगह को भी साफ़ रखना ज़रूरी है.
डेंगू का बुखार से पीड़ित रोगी को जिस मच्छर ने काटा है उस मच्छर के काटने से डेंगू का वायरस फैलता है। इसलिए डेंगू से बचने का सबसे सरल और एकमात्र तरीका यह भी है कि मच्छर के काटने से बचा जाए.
डेंगू का इलाज
आम तौर पर चिकित्सकीय प्रक्रिया से किया जाता है, लेकिन इसे दूसरे वायरस -जनित रोगों से अलग कर पाना कठिन है. उपचार का मुख्य तरीका सहायक चिकित्सा देना ही है, मुख से तरल देते रहना ताकि जल की कमी ना हो.
नसों से भी तरल दिया जाता है, यदि खून मे प्लेटलेटस की संख्या बहुत कम हो जाये तो खून चढाना भी पड़ सकता है, आंतो मे रक्तस्त्राव होना जिसे मेलना की मौजूदगी से पहचान सकते है.
इस संक्रमण मे एस्प्रीन या अन्य गैर स्टेरोईड दवाएँ लेने से रक्तस्त्राव बढ जाता है इसके स्थान पर संदिग्ध रोगियों को पेरासिटामोल देनी चाहिए.
नये अध्ययन बताते है कि माइसोफेनोलिक एसिड तथा रिबाविरिन का प्रयोग करने से डेंगू के वायरस की वृद्धि रूक जाती है, यदि ये दवायें दी जाये तो वायरस का आर.एन.ए. दोषपूर्ण बन जाता है.
घर बैठे आप यह तरीके भी अपना सकते हैं-
पपीता का पत्ता, यह डेंगू के रोगी के लिए महा औषधि का काम करता है. पपीते के पत्ते से इलाज करने के लिए पपीता का दो पत्ता लें और उनको पीसकर रस निकाल लें. इस समय कच्चा या पका पपीता दोनों रोगी को रोज खिला सकते हैं.
संतरे का जूस, संतरा डेंगू के रोगी के लिए सबसे अच्छा खाद्द स्रोत होता है क्योंकि इसमें ऊर्जा और विटामिन भरपूर मात्रा में होता है जो रोगी के हजम शक्ति को उन्नत करने के साथ-साथ एन्टीबॉडी को कार्यकारी बनाने में मदद करता है.
लपसी या दलिया, डेंगू जैसे खतरनाक रोग से लड़ने में यह बहुत मदद करता है क्योंकि इसको रोगी को निगलने में आसानी होती है और यह स्वास्थ्यप्रद भी होता है.आप दलिया सलाद भी बना कर खिला सकते हैं.
काढ़ा या हर्बल टी, अदरक डालकर बनाया हुआ काढ़ा ज्वर को कम करने में बहुत मदद करता है और इसके सेवन से रोगी को आराम भी मिलता है.
नारियल का पानी, ज्वर के कारण शरीर में जो जल की कमी होती है उसको पूर्ण करने में नारियल का पानी बहुत मदद करता है, साथ ही यह शरीर में मिनरल के कमी को भी पूर्ण करता है.
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