मिर्गी की बिमारी बहुत ही जटिल होती हैं, यह बिमारी कई लोगो को बचपन से होती हैं, मिर्गी में अचानक से मरीज़ को दौरा पड़ता हैं यह दौर कम से कम 4 से 5 मिनट तक का होता हैं कभी-कभी यह घंटो तक रहता हैं जिसके कारण मरीज़ को घट तक होश नहीं रहता हैं, मिर्गी के मरीज़ को हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता होती हैं क्योंकि मिर्गी के मरीज़ को खुद नहीं पता होता हैं की उसे कब दौर पड़ने वाला हैं.
मिर्गी के लिए फर्स्ट ऐड:
सबसे पहले प्राथमिक उपचार देने के लिए मिर्गी के लक्षणों का पता लगाना बहुत आवश्यक हैं उसको चक्कर आने लगते है, कुछ लोगों के मुहँ में झाग आने लगते है, जबड़ा मजबूती से चिपक जाता है, शरीर कांपने लगता है, कुछ का शरीर ऐंठ जाता है, और कई लोगों का पेशाब तक निकल जाता है और वो बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है.
आजकल तो ये समस्या 10 से 20 वर्ष के बच्चों तक देखि जा सकती हैं , मिर्गी का दौरा का प्रभाव इतना अधिक होता है कि पीड़ित 10 मिनट से कुछ घंटों तक बेहोशी की हालत में पड़ा रहता है, इसीलिए मिर्गी के दौरे आते टाइम मरीज़ को यह प्राथमिक उपचार देना चाहिए.
अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ जाए तो यह उपचार करना चाहिए.
पानी के छीटे मारे:
सबसे पहले उसके आसपास की हवा को ना रुकने दें उसे ऐसी जगह लिटाये जहा उसे आराम मिले फिर उसे दाई या फिर बायीं करवट में लिटा दें, इसके बाद उसके मुहँ पर पानी के छीटें मारते रहें , पानी के छीटे तब तक मारते रहे जब तक मरीज़ को होश ना आजाये.
मुह पर कपडा ठोस दें:
किसी तरह मरीज़ का मुहँ खोलें और उसके दांतों के नीचे कोई कपड़ा या कुछ रख दें, मिर्गी के दौरे में मरीज़ का जबड़ा बहुत ज़्यादा कस के जबड़ा मजबूती से चिपक जाता है इससे रोगी की जीभ काटने का अंदेशा होता हैं इसलिए इससे जीभ काटने से बचती है. ध्यान रहें कि ना तो उसे कुछ खिलाने का प्रयास करें और ना ही कुछ पिलाने का प्रयास करे.
करे तुलसी और सीताफल के रस का इस्तेमाल:
मिर्गी का दौरा आने पर रोगी की नाक में तुलसी के रस और सेंधा नमक के मिश्रण को टपकायें. अगर आस पास तुलसी का पौधा ना हो तो उसकी नाक में सीताफल के पत्तों का रस डालें. इस उपचार से मिर्गी के दौरे में बहुत फायदा होता हैं.
करे करौंदे का इस्तेमाल :
मिर्गी से पीड़ित रोगियों को समय-समय पर करौंदे के पत्तों से बनी चटनी का सेवन करना चाहियें. अगर मरीज़ इसे खा सके तो उनके लिए बहुत बेहतर होगा.
इन चीज़ों को सुंघायें :
मिर्गी के रोगी को पिसी हुई , कपूर, तुलसी रस, लहसुन रस, आक की जड़ की छाल का रस, नीम्बू रस व हिंग में से किसी भी चीज को सुंघाया जा सकता है इससे उन्हें होश में लाया जा सकता हैं.
शहतूत, और सेब का रस :
रोगी को होश में आने के बाद शहतूत और सेब का रस निकालकर उसमें थोड़ी सी हींग मिलाकर देनी चाहियें ताकि दौरे का प्रभाव शीघ्र खत्म हो सके और वो जल्द ही सामान्य हो जाए. यह मिर्गी के रोगी को होश में लाने का सबसे बेहतरीन उपचार होता हैं.
सफ़ेद प्याज के रस का इस्तेमाल:
साथ ही रोगियों को रोजाना 1 चम्मच सफ़ेद प्याज का रस पानी के साथ पीना चाहियें, इससे उनको दौरे आने बंद हो जाते है. प्याज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं इसलिए प्याज का रस देना चाहिए.
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