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यह हैं वो फर्स्ट ऐड जिनसे बचाई जा सकती हैं हार्ट अटैक के मरीज़ की जान

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और हमारे खान पान के कारण कुछ बिमारियां होना आम बात हैं इन सभी बीमारियों के चलते हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है, पहले जहां हार्ट अटैक नोरमालय 60 साल के बाद रहता था, वहीं अब 30 साल की उम्र में ही हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता हैं , दिल की सेहत पर ही निर्भर करती है.

हमारे शरीर की सेहत, दिल को सेहतमंद रखना बहुत जरूरी होता हैं अगर हमे अपनी ज़िन्दगी स्वस्थ रखना हैं तो हमे अपने दिल का ख्याल रखना चाहिए.

अचानक से अगर किसी को दिल का दौर पड़ जाए तो उस समय दिमाग काम नहीं करता की क्या करे क्या ना करे उस समय धीरज से काम करने की आवश्यकता होती हैं, आप चाहे तो फर्स्ट ऐड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिससे मरीज़ को थोड़ा आराम ज़रूर मिलेगा.

अगर किसी मरीज़ में दिल के दौरे के लक्षण दिखाई दे रहे तो, उस समय 15 मिनट के अंदर अगर उसको फर्स्ट ऐड दे दिया जाए तो मरीज़ की जान बच सकती हैं यहाँ हम आपको बताएंगे के किस प्रकार से दिल का दौर पड़ने पर आप कर सकते हैं उसका उपचार फर्स्ट ऐड द्वारा.

फर्स्ट ऐड हार्ट अटैक के लिए:

सीने में जकड़न और बेचैनी, सांसों का तेजी से चलना, चक्कर के साथ पसीना आना, नब्ज कमजोर पड़ना और मितली आना दिल के दौरे के प्रमुख लक्षण होते हैं अगर यह लक्षण आपको किसी में दिखाई देते हैं तो तुरंत इन फर्स्ट ऐड का उपयोग करे.

नाक दबाये:
सबसे पहले मरीज़ की नाक को दबाकर रखिए और अपने मुंह से सास दें , नथुने दबाने से मुंह से जो कृतिम सास दी जा रही वो मुह से होते हुए सीधे फेफड़ो तक पहुचेगी लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपकाएं, जिस मरीज़ को कृतिम सांस दे रहे हैं कोशिश करे की मुह से सांस किसी भी प्रकार से बाहर ना निकले.

करे सीपीआर का इस्तेमाल:
सीपीआर उस समय दी जाती हैं जब मरीज़ की दिल कीधड़कने रुक जाती हैं, उस समय मरीज़ को पीठ के बल लिटाये और अपने हाथ मरीज़ के सीने के तरफ रखते हुए उसे इस प्रकार दबाये के सीन कम से कम एक दो इंच नीचे दब सके यह प्रक्रिया बार-बार दोहराने से सास आजाती हैं.

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दें कृतिम श्वास:
जब दिल का दौर पड़े तो करती श्वास देना एक अच्छा उपाय होता हैं इसके लिए मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़कर ऊपर उठा दें फिर मरीज़ को डायरेक्ट अपने से सांस दी जाती हैं जिसके कारण साँसे सीधे फेफड़ो में प्रवेश करती हैं, और मरीज़ की सांस वापस आजाती हैं.

मरीज को लिटाएं:
दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सबसे पहले एक ऐसी जगह लिटाये जहा उसे आराम मिले उसे आरामदायक स्थिति में लिटाएं और उसे एस्प्रिन की टेबलेट दे कर उसे चूसने को कहे , ऐस्प्रिन चूसने से दिल के दौरे में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है, यह दवा खून के थक्के कोप जमने से रोकती हैं.

सीने को दबाएं:
दिल का दौर पड़ने से किसी की भी की दिल की धड़कने रुक सकती हैं जब दिल की धड़कने रुक जाए तो उस समय , सीने को दबाकर सांस चालू करने की कोशिश करें.

पल्स रेट चेक करे:
मरीज़ की पल्स रेट चेक करे अगर पल्स रेट बहुत कम हो जाए तो मरीज़ के सर और पैरो को ऊपर कर दें जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढे और मरीज़ की पल्स रेट कुछ सामान्य हो.

इमरजेंसी फ़ोन करे:
यह सब करने के बाद मरीज़ को थोड़ा नार्मल करने के बाद तुरंत होस्पितकल फ़ोन कर के एम्बुलेंस बुलाये या खुद हॉस्पिटल तक ले जा कर मरीज़ का सही टाइम पर सही इलाज करवाये.

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