हेयर वीविंग एक ऐसी टेक्निक है, जिसके जरिए नार्मल ह्यूमन हेयर या सिंथेटिक हेयर को सिर के उस भाग पर वीव कर दिया जाता है, जहां गंजापन है या बाल कम है.
आमतौर पर हेयर कटिंग कराने के बाद जो बाल मिलते हैं, उन्हें hair manufacturer को बेच दिया जाता है. उसके बाद इन्हीं बालों को वीविंग के काम में यूज़ किया जाता है.
ये थोड़े महंगे होते हैं, जबकि दूसरी तरफ synthetic hair, normal hair के मुकाबले थोड़े सस्ते होते हैं synthetic hair कई तरह के synthetic fibre के बने होते हैं और इसमें आप कई प्रकार के स्टाइल वा कलर चूस कर सकते हैं.
Hair Weaving in Delhi:
जहां-जहां बाल नहीं हैं, वहां-वहां हेयर यूनिट लगाई जाती है. इसके लिए सिर पर मौजूद तीन साइड के बालों की मदद से मशीन और धागे के जरिए एक बेस बनाते है.
फिर इस बेस के ऊपर hair unit को stitch कर दिया जाता है. इस पूरे process में दो घंटे लगते हैं और एक ही sitting में ट्रीटमेंट पूरा हो जाता है.
डेढ़ महीने के बाद जब आपके original बाल grow होते हैं तो base ढीला हो जाता है जिसके चलते stitch की गई unit भी ढीली हो जाती हैं इन्हें ठीक कराने के लिए expert के पास जाना पड़ता है इसीलिए हेयर वीविंग को प्रॉपर मेंटेनेंस की आवश्यकता है होती हैं.
ये बाल semi-permanent होते हैं. हर 15 दिन के बाद इनकी servicing करानी पड़ती है और servicing के काम में दो घंटे का वक्त लग जाता है.
जो लोग अच्छी तरह से maintain कर लेते हैं, उन्हें दो महीने बाद service की जरूरत होती है.
देखभाल बिल्कुल natural बालों की तरह ही करनी है. oil use नहीं करना है. मोटे दांतों वाले कंघे का use किया जाता है और ख़याल रखना पड़ता हैं.
हर 15 दिनों के बाद होने वाली सर्विस में 500 से 1500 रुपये तक का खर्च आ जाता है. इनकी लाइफ कम होती है.
हेयर वीविंग छह महीने से एक साल तक चल जाते हैं. हालांकि अच्छी देखभाल की जाए तो चार साल तक चल जाते हैं. एक बार बाल खराब हो जाने के बाद weaving का पूरा procedure दोहराना पड़ता है.
इस procedure में कई patients को दर्द होता है और यह दर्द पूरे एक दिन रहता है, जिसे कम करने के लिए painkillers दिए जाते हैं.
हेयर वीविंग करने के तरीके:
Bonding:
Bonding भी non-surgical method है. इसे क्लिपिंग सिस्टम कहा जाता है. इसमें hair unit के तीन साइड में क्लिप लगाते हैं.
यह क्लिप यूनिट के अंदर से लगाया जाता है. इस क्लिप की मदद से यूनिट को पहले से मौजूद बालों के साथ अटैच कर दिया जाता है.
इन्हें दिन में लगा सकते हैं और रात को खोल कर रख सकते हैं, लेकिन यह आपकी सुविधा पर निर्भर है. ऐसा करना जरूरी नहीं है.
सर्विस कराने की जरूरत नहीं होती है. हेयर कट करा सकते हैं, लेकिन हेयर ड्रेसर को यह पता होना चाहिए कि आपके ओरिजिनल और नकली बाल कौन से हैं.
उसी के हिसाब से उसे कटिंग करनी होगी. इस procedure में 1 घंटे का वक्त लगता है और इसमें दर्द नहीं होता. खराब हो जाने के बाद इसे दोबारा करा सकते हैं.
Silicon सिस्टम:
अगर आप दर्द भी नहीं चाहते और बॉन्डिंग भी नहीं चाहते तो ये सिस्टम आपके लिए बेस्ट है. इसमें आसपास के ओरिजिनल बालों को ट्रिम किया जाता है. इसके बाद उस पर glue (Silicon Gel) लगाते हैं और फिर hair unit को इस पर चिपका देते हैं.
यह एक से डेढ़ महीने तक फिक्स रहता है उसके बाद ढीला होने लगता है. ऐसे में service कराने की जरूरत होती है और सर्विस में डेढ़ घंटा लगता है.
Taping:
यह भी एक नॉन सर्जिकल मेथड है जिसमें hair unit का इस्तेमाल करते हैं औरइस्तेमाल करने का तरीका अलग होता है.
इस प्रोसीजर में एक टेप का इस्तेमाल किया जाता है, जो दो तरफ से sticky होता है और transparent होता है और यह आम लोगों को नजर नहीं आता.
दो sticky सिरों में से एक सिर में लगती है और दूसरी hair unit में. इसमें भी 15 दिनों बाद service की जरूरत पड़ती है.
Wig:
जिस तरह पहले wig यूज होती थी, उसी का advance version आज भी यूज होता है, लेकिन hair weaving और wig में बहुत फर्क है जैसे hair weaving सिर्फ उस जगह की जाती है, जहां गंजापन है, जबकि wig को Forehead line से Ear line तक पूरा पहना जाता है, गंजापन भले ही कहीं पर भी हो. आजकल wig को लोग कम prefer करते हैं क्योंकि ये पहनने के यह काफी tight लगती है और नेचुरल लुक नहीं देती हैं.
ऐसे रखे अपना ख़याल हेयर वीविंग के बाद:
हेयर वीविंग के ऊपर बताए गए तरीकों से वैसे तो कोई खास और स्थायी side effects या नुकसान नहीं होता है, फिर भी कुछ patients को कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं जिसका उन्हें ख्याल रखना ज़रूरी होता है, जो इस तरह से है:
इस प्रोसीजर के बाद पहले से मौजूद original बाल कुछ वक्त के लिए thin हो सकते हैं. इस स्थिति को Shock loss या shading के नाम से जाना जाता है. कुछ समय बाद यह स्थिति खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है
सर सुन्न हो सकता है या उसमें ढीलापन आ सकता है. यह भी कुछ महीनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है अगर ऐसा होता है तो Best Dermatologist in Delhi से कंसल्ट ज़रूरी करे.
सिर में दर्द या खुजली की शिकायत हो सकती है जो की नार्मल दवा से ठीक की जा सकती हैं.
इन्फेक्शन की भी आशंका होती है, जिसे एंटीबायोटिक्स के जरिए कुछ ही समय में ठीक कर दिया जाता है.
कुछ दिनों के लिए आंखों और माथे पर सूजन आ सकती है.
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