इलाज डॉट कॉम आज लेकर आया हैं लड़कियों के लिए यह ख़ास खबर, सैनिटरी नैपकिन की मांग आज पूरी दुनियां में तेज़ी से फ़ैल रही हैं, झा हर महिला इसका इस्तेमाल करती हैं, यह ईज़िली हर जगह अवेलेबल होते हैं और इनको इस्तेमाल करना बहुत ज़्यादा आसान भी होता हैं.
इनकी आजकल इतनी मांग हो गयी हैं की आये दिन इसके नए-नए ब्रांड्स लांच होते रहते हैं, एक रिसर्च के मुताबिक एक शहरी महिला पूरी जिंदगी में करीब 17 हजार पैड इस्तेमाल करती है, इन पैड्स से सेहत वा पर्यावरण दोनों को ही काफी नुक्सान होते हैं.
पीरियड्स के दैरान महिलाओ में कई प्रकार के हार्मोनल चेंजेस आते हैं , जिसके चलते इन दिनों महिलाओ को अपना ख़ास ख्याल रखे की ज़रूरत होती हैं, लेकिन इन दिनों इस्तेमाल किये जाने वाले पैड्स पहले तो केवल शहरी महिलाये ही इसका इस्तेमाल करती थी लेकिन अब इनकी कंपनियों ने अपनी बढ़त इस कदर बढ़ ली हैं की गावो में भी इसकी मांग होने लगी हैं.
आजकल यह हर किसी की पहुँच में एक कारण इसका इसका यह भी हैं की सस्ते प्राइस में भी मिल जाते हैं, जिसके कारण हर कोई इसका इस्तेमाल करता हैं, लेकिन इसको इस्तेमाल करने के कितने ज़्यादा नुक्सान होते हैं आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
सैनिटरी नैपकिन से सेहत को होने वाले नुक्सान:
इलाज की लेडीज स्पेशलिस्ट बताएंगी आपको पैड्स को यूज़ करने के क्या हो सकते हैं नुक्सान, बाजार में बिकने वाले ब्रांडेड सैनेटरी नैपकिन में सुपर एब्जॉर्बेंट पॉलीमर्स (जेल), ब्लीच किया हुआ सेलुलोज वूड पल्प, सिलिकॉन पेपर, प्लास्टिक, डियोडेरेंट आदि का इस्तेमाल होता है, जिसके इस्तेमाल से महिलाओ में गंभीर बिमारियां हो सकती हैं.
ओवेरियन कैंसर होने का खतरा:
सैनेटरी नैपकिन में डायोक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है, डायोक्सिन को नैपकिन को सफेद रखने के लिए काम में लिया जाता है. हालांकि इसकी मात्रा कम होती है लेकिन फिर भी यह सेहत को काफी ज़्यादा नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण महिलाओ को ओवेरियन कनासर तक होने की संभावना होती हैं.
हार्मोन डिसफंक्शन:
इनको बनाने इस्तेमाल किये जाने वाले घातक तत्वो के कारण महिलाओ में हार्मोन डिसफंक्शन का भी खतरा हो सकता हैं, हार्मोन डिसफंक्शन के कारण शरीर में हॉर्मोन स का बैलेंस बिगड़ जाता हैं जिसके करण महिलाओ को कई प्रकार की बिमारिया घेर सकती हैं.
डायबिटीज और थायरॉयड:
इनके इस्तेमाल से महिलाओ में डायबिटीज और थायरॉयड की समस्या भी उतपन्न हो सकती हैं, जब महिलाये पैड को 5 घण्टे के बाद तक उसे करती रहती हैं और उसे चेंज नहीं करती हैं तो यह उनके लिए बहुत ज़्यादा खतरनाक हो जाता हैं.
बांझपन:
महिलाओ में बांझपन तक होने का खतरा पैदा हो सकता हैंगर वो पैड्स का इस्तेमाल करती हैं तो क्योंकि इसको बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला रेयॉन को भी उपयोग में लाया जाता है, इससे सोखने की अवधि बढ़ती है, रेयॉन में भी डायोक्सिन होता है. वहीं कपास की खेती के दौरान उस पर कई पेस्टीसाइड छिड़के जाते हैं, इनमें से फुरान नाम का केमिकल रूई पर रह जाता है. महिलाओ में बांझपन का कारण बनता हैं.
त्वचा संबंधी समस्या:
नैपकिन बनाने के दौरान इन पर आर्टिफीसियल फ्रेगरेंस और डियो छिड़का जाता है, इनसे एलर्जी और त्वचा को नुकसान होने का खतरा रहता है. जो बहुत ही ज़्यादा दिक्कत पैदा करता हैं.
डायरिया बुखार, वा उलटी की समस्या:
लंबे समय तक नैपकिन के इस्तेमाल से वेजाइना में स्टेफिलोकोकस ऑरेयस बैक्टीरिया बन जाते हैं. इससे डायरिया, बुखार और ब्लड प्रेशर जैसी बिमारियो का खतरा रहता है जिससे बहुत ज़्यादा नुक्सान होते हैं.
सुरक्षा के उपाय:
करे क्लॉथ पैड का इस्तेमाल:
ये पैड्स रूई और जूट या बांस से बनते हैं। इन्हें रखने में भी कोई दिक्कत नहीं होती, उपयोग किए गए पैड्स को धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे सेहत को कोई नुक्सान नहीं पहुँचा हैं और ना ही पर्यावरण को.
मेंस्ट्रुअल कप:
यह एक प्रकार का कप होता हैं जिसका इस्तेमाल पीरियड्स के दिनों में किया जाता हैं, वर्किंग विमेंस के लिए यह बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता हैं, अच्छी क्वालिटी के कप की कीमत 700 रुपये है, लेकिन एक बार खरीदने के बाद 10 साल तक की चिंता समाप्त हो जाती हैं.
कपड़े का इस्तेमाल:
घर पर रखे आप साफ़ कॉटन के कपडे का इस्तेमाल भी कर सकती हैं, इससे किसी प्रकार का कोई नुक्सान नही होता हैं, लेकिन इसको भी आप पञ्च घण्टे से ज़्यादा इस्तेमाल ना करे हर पञ्च घण्टे में पैड बदलना ज़रूरी होता हैं.
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