health hazards in children of watching television so much

टीवी देखना बच्चो बूढों सभी के लिए खतरनाक हैं अगर आप ज़रूरत से ज्यादा टीवी देखते हिं तो यह आपके लिए बड़ी बीमारियों की वजह भी बन सकता हैं, लेकिन आजकल बच्चे खेलने कूदने के बजाए टीवी देखना पसंद करते हैं और वो टीवी के सामने घंटो तक बैठे रहते हैं, पहले जहा बच्चे खेलते कूदते थे बाहर जाते थे वही आज इस टेक्नोलोजी के ज़माने ने बच्चो के हाथो में मोबाइल वा टीवी के रिमोट थमा दिए हैं जिसके कारण बह्च्चो का शारीरिक विकास तो रुक ही रहा है साथ में उनके दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा हैं.

आज यहा इस आर्टिकल में हम बात अरेंगे की किस प्रकार टीवी की लत बच्चो की सेहत पर बुरा असर डाल रही हैं जिसको पढने के बाद आप भी सोच में पड़ जायेंगे की अब अब आपो अपने बच्चो को टीवी का रिमोट देना हैं या नहीं.

टीवी का बच्चो की सेहत पर बुरा असर :

क्या आप जानते हैं कि अगर आपके बच्चे तीन घंटे या इससे ज्यादा रोज टीवी देखते हैं या कम्प्यूटर, गेम कंसोल्स, टैबलेट और स्मार्टफोन पर समय बिता रहे हैं, तो यह उनकी सेहत के लिए बड़ा खतरा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह घंटों टीवी स्क्रीन के सामने बैठने से उन्हें डायबिटीज हो सकती है.

डायबिटीज की समस्या बहुत खतरनाक होती है, जिसके लिए आपको बहुत ज्यादा परहेज़ करने की ज़रूरत होती है इसके साथ इससे जुडी और भी बीमारियाँ बह्च्चो को घेर सकती है जो की उनकी सेहत के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है

हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार बच्चों का इस तरह लगातार डिजिटल माध्यम की ओर झुकाव उनमें मोटेपन का कारण हो सकता है और यह इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है.

इंसुलिन पाचन-ग्रंथि के माध्यम से हार्मोन के जरिए ब्लड-ग्लूकोज के स्तर को बढ़ने से रोकता है जिससे बच्चो में इस बड़ी बिमारी के होने का खतरा बढ़ता है.

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शोधकर्ताओं की टीम ने मेटाबॉलिक और कार्डियोवैस्क्युलर से संबंधित जांच के लिए लंदन के बरमिंघम और लिसेस्टर के 200 प्राथमिक स्कूलों से 9-10 वर्ष के लगभग 4,500 बच्चों को प्रयोग के दायरे में लिया गया.

सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के एम.नाईटेंगल ने अपने इस शोध का हवाला देते हुए बताया कि बचपन के शुरुआती वर्षो में बच्चों के टीवी स्क्रीन पर कम समय बिताने से उनमें टाइप-2 डायबिटीज की आशंका कम रहती है और वे इन बच्चो के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ्य रहते अहि.

शोध का निष्कर्ष पत्रिका ‘आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड’ में प्रकाशित हुआ है.

क्या कहता हैं दूसरा शोध:

एक अध्ययन पत्रिका ‘साइकोलॉजिकल मेडिसिन’ के मुताबिक .इसके लिए 1997/1998 में पैदा हुए बच्चो के ऊपर एक सर्वे हुआ जिसके मुताबिक 991 लड़कियों वा 1006 लड़को के माता पिता ने अपने बच्चो का घंटो टीवी देखना की बात कही.

13 साल की उम्र में ही इन बच्चो के स्वाभाव में तेज़ी से बदलाव आते देखा गया. बच्चो में निम्न प्रकार के बदलाव देखे गए.

शोधकर्ताओ ने दो साल के बच्चो के अत्यधिक टीवी देखने  वाले माता पिता के द्वारा दिए गए आँकणों के मुताबिक.

पागनी ने पाया की ज़्यादा टीवी देखने वाले बच्चो की 13 साल की उम्र में स्तिथि अत्यधिक जटिल हो जाती हैं तथा माध्यमिक विद्यालय में बिताया गया समय बच्चो के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. जिन बच्चो की स्तिथि जटिल हो जाती हैं उनका समाज से अलगाव बढ़ जाने खतरा होता हैं .

पागनी ने बताया की स्कूल से पहले की डिसिप्लिन्ड दिनचर्या से बच्चो में कुशलता आती हैं. उन्हें सामाजिक कौशल के विकास में मदद मिलती हैं. जो बाद में बच्चो की पर्सनेलिटी को डिवेलोप करता हैं और व्यक्तिगत वा आर्थिक  सफलता  में सक्षम बनाता है.

इस तरह टीवी का असर आपके बच्चो के साथ बुरा खिलवाड़ कर रहा हैं जिसके चलते आपको सावधान होने की आवश्यकता है.

ड्राई आईज का ख़तरा:

इस पर हुए एक शोध के अनुसार जो बच्चे बहुत ज़्यादा कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल करते हैं उनमे ड्राई आईज़ यानी की आँखों में सूखेपन की समस्या जन्म ले लेती हैं.

दक्षिण कोरिया स्तिथ चुंग आंग यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक स्मार्टफोन या कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल का संबंध बच्चों में नेत्र संबंधी लक्षणों या समस्या की बारंबारता से पाया गया है, जो की एक चिंता जनक बात हैं.

इस शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हमने 916 बच्चों का नेत्र परीक्षण किया था, प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया था जिसमें 630 बच्चे शहरी थे वही 286 बच्चे ग्रामीण इलाकों से सम्बन्ध रखते थे, इसके बाद शोधकर्ताओं के अनुसार ड्राई आईज़ की समस्या शहरी समूह के कुल 8.3 फीसदी बच्चों में मिली जबकि ग्रामीण समूह में ऐसे बच्चों का आंकड़ा केवल 2.8 फीसदी था.

शहरी समूह में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की दर 61.3 फीसदी और ग्रामीण समूह में 51 फीसदी थी. बच्चों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल का बाल्यावस्था डीईडी से है, यह शोध जर्नल बीएमसी ऑप्थेल्मोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.

जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया की जो बच्चे दिन रात अपना समय कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स में गुज़ारते हैं उनमे बहुत ज़्यादा नेत्र संबंधी समस्याए हो सकती हैं ऐसे बच्चो में ड्राई आईज़ होने का बहुत ज़्यादा खतरा पाया जाता हैं.

if your child watching so much television so beware, these diseases will cause them a big problem.

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keywords: television, children, diseases, new studies, tips

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