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परफ्यूम का इस्तेमाल बना सकता हैं आपको कैंसर रोगी, कही आप भी तो नहीं दें रहे इन बीमारियों को दावत

पसीने की बदबू से परेशानी एक आम समस्या है, जिससे निपटने के लिए लोग बाजारों में मौजूद तरह-तरह के खूशबूदार डिओड्रेंट और परफ्यूम लगाना बेहतर मानते हैं, इसके अलावा गर्मियों में ज़यादातर लोग पसीने से छुटकारा पाने के लिए डीऊ का इस्तेमाल करते है और पसीने की बदबू मिटाने के लिए परफ्यूम का.

इसकी मांग इतनी ज्यादा हो गयी हैं आये दिन कंपनी नए प्रोडक्ट्स लांच करती हैं और आने विज्ञापनों से लोगो को लुभाती हैं जिसके कारण युवा इससे इम्प्रेस हो कर दिन भर कई तरह परफ्यूम लगाते फिरते हैं कच लोगो को तो परफ्यूम का इतना नशा होता हाँ की उनके पास ढेरो की तादाद में परफ्यूम होते हैं और वो रोज़ बदल बदल कर इसक उपयोग करते हैं.

क्या आप जानते हैं ये खूशबूदार परफ्यूम आपके लिए खतरनाक साबित हो सकते है, यह सुनकर आप हैरान होंगे लेकिन ऐसे परफ्यूम्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपको कैंसर जैसी गंभीर बिमारी का शिकार भी बना सकता हैजी हां यह सच हैं .

परफ्यूम्स और डियोडरेंट्स में हानिकारक केमिकल्स मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं और आपको घटक बीमारियों का शिकार बना सकते हैं परफ्यूम में मिले इन केमिकल्स से कई बार एलर्जी, अस्थमा, स्किन डिजीज या फिर दूसरी तरह की अन्य गंभीर बीमारी हो जाती है.

परफ्यूम में मौजूद इन घातक और अनहेल्दी केमिकल्स की पुष्टि कई शोधों में भी हो चुकी है जैसे 2004 में एक स्टडी हुई थी जिसमें इस बात की पुष्टि हुई की परफ्यूम में मौजूद हानिकारक केमिकल्स शरीर में हार्मोन बैलेंस को डिस्टर्ब करते हैं और ब्रेस्ट कैंसर का कारण बनते हैं यह उन महिलाओं के लिए बड़ी चेतवानी अहिं जिन्हें परफ्यूम का नशा हैं.

परफ्यूम से यह हैं आपकी सेहत को नुक्सान 

पसीना आना स्वाभाविक:

पसीना कम करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले खुशबूदार उत्पादों से पसीने की स्वाभाविक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाती हैं जिससे शरीर में आर्सेनिक, कैडमियम, लीड और मरकरी जैसे तत्व इकट्ठा हो सकते हैं जो आपकी सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं आप पसीने से बचने के उपाय भी कर सकते हैं जैसे घरेलू उपाय इस तरह पसीने को रोकना खतरनाक साबित हो सकता हैं.

एलर्जी होने का डर:

हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार परफ्यूम व डियोड्रेंट आपके पसीने की ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं और शरीर की टॉक्सिफिकेशन की प्राकृतिक प्रक्रिया को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ये आपके पसीने की बदबू को तो रोक देते हैं साथ ही त्वचा को हानि पहुचाते हैं, इससे आपको एलर्जी की शिकायत हो सकती है या स्किन डिजीज भी हो सकती हैं.

त्वचा मे शुष्की

सिलिका अथवा ‘सिलिकॉन डाईऑक्साइड, ऑक्सीजन और सिलिकन से योग से बना होता है. इसका इस्तेमाल बालू में उपस्थित छोटे-छोटे कांच के कण काँच, सिरेमिक सामानों के निर्माण और तापरोधी ईंटें बनाने में किया जाता है जो की इनको बनाने के लिए आवश्यक तत्व होते हैं.

अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि ये केमिकल त्वचा में जलन पैदा का कारण भी बन सकती है जिससे स्किन की एलर्जी की समस्या है, सिलिका के अलावा इसमें मौजूद टेल्क रसायन शरीर में कैंसर का कारण बनता है. इंटरनेशनल एकेडमी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक अगर इसमें एस्बेस्टिफॉर्म फाइबर हैं तो ये कैंसर का कारण बन सकता है जो आपकी जान तक लें सकता हैं.

गर्भावस्था मे खतरनाक:

एक शोध के अनुसार गर्भावस्था मे परफ्यूम के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योई बहुत तेज़ खुशबू आपकी सेहत के लिए सही नहीं और प्रेगनेंसी में यह और भी खतरनाक साबित हो सकती हैं तेज खूशबू वाले परफ्यूम से होने वाले बच्चे के हार्मोंस में गड़बडी हो सकती है और उसे नुकसान पहुंच सकता है इसलिए डाक्टर भी गर्भावस्था के दौरान परफ्यूम इस्तेमाल ना करने की सलाह देते हैं तो बेहतर आप इसका इस्तेमाल ना ही करे.

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संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक:

तेज खूशबू वाले परफ्यूम संवेदनशील त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं, अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव हैं तो इसका इस्तेमाल ज़रा सोह समझ कर ही करे. अगर त्वचा में किसी तरह का रिएक्शन हो जाता है तो प्रभावित स्थान को ठंडे पानी से धोएं और फौरन किसी डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलें.

 ट्राइक्लोसन होता हैं :

केमिकल का इस्तेमाल परफ्यूम या डियोडरेंट्स को बैक्टीरिया रोधी यानी एंटीबैक्टीरियल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस केमिकल का इस्तेमाल कई एंटीबैक्टीरियल साबुनों में भी किया जाता है लेकिन ये केमिकल शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरियाओं को भी नष्ट कर देता है जो हमारी सेहत के लिए ज़रूरी होते हैं.

अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट ने इसे पेस्टीसाइड बताया है, इसके कारण त्वचा संबंधिक तई तरह की बीमारियां होती हैं इस बात का दावा किया गया हैं अब तो हाल ही में किए गए शोध में तो इस बात की भी पुष्टि कर दी गई है कि ये रसायन गर्भ में पल रहे शिशुओं और नवजातों के शारीरिक विकास पर नेगेतिवे असर डालता हैं.

बीमारियों को न्यौता:

परफ्यूम कई तरह की बीमारियों का कारण भी बन सकता है, इसमें पाया जाने वाला केमिकल प्रॉपिलीन गलायसोल एक एकलर्जिक रसायन है जो शरीर में एलर्जिक रिएक्शन पैदा करता है जिससे आपको दिक्कत हो सकती हैं.  ये एक तरह का न्यूरोटॉक्सिक रसायन है जो किडनी को डैमेज करने का कारण बनता है.

स्टीरेथ एन सब्जियों से मिलने वाला केमिकल है लेकिन ये रसायन तब तक ही हानिकारक नहीं होता जब तक की ये सब्जियों में रहता है सब्जियों के बजाय इसे परफ्यूम, क्रीम या अन्य उत्पादों में मिलाने पर स्वास्थ्य के लिए घातक बन जाता है और हमारी सेहत को नुक्सान पहुचता हैं कई बार इसकी मात्रा अधिक होने पर कैंसर का कारण भी बन जाती है.

बरते यह सावधानियां:

परफ्यून का इस्तेमाल करते समय भी सावधानी रहनी बहुत ज़रूरी हैं इसे सीधे शरीर पर न लगाएं, बल्कि कपड़ों पर स्प्रे करें, ज्यूलरी पहनने से पहले परफ्यूम स्प्रे कर लें, नहीं तो इसमें मिले कैमिकल्स से ज्यूलरी की चमक प्रभावित हो सकती है और यह आपकी पसंदिद्दा ज्वेल्लेरी को खराब कर सकती हैं और इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल आप उपर देख रहे हैं किस तरहा आपो नुक्सान पहुचायेगा.

Here we are discussing the disadvantages of perfumes and deodrents which causes you  many dangerous diseases such as cancer, asthma and many more

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web-title: health hazards of wearing so much perfume.

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