वायु प्रदूषण के बारे में हम बचपन से पड़ते आ रहे हैं और पता नही कितने इसपर निबंध लिख चुके लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हम खुद वायु प्रदोषण फैलाने वालो में से एक बन जाते हैं यह जानते हुए भी की यह पर्यावरण के लिए कितना नुकसानदेह हौं और इससे कितनी बीमारियाँ फैलती हैं .
हम हर बार छोटी-छोटी बीमारियों के लिए दवाई खा लेते हैं कि लेकिन उनका कितना असर हमारे शरीर पर होता है, वह नहीं जान पाते इस तरह अहर बात पर दवा खाना बहुत नुकसानदेह होता हैं.
वायु प्रदूषण से होने वाले नुक्सान:
वायु प्रदूषण की वजह से अब ये सभी दवाइयां बेअसर होने लगी हैं जी हां यह बात सच हैं ब्रिटेन में लीसेस्टर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जूली मोरीसे ने कहा, शोध से हमें यह समझने में मदद मिली है कि किस तरह वायु प्रदूषण मानव जीवन को प्रभावित करता है और हमे नुक्सान पहुचाता हैं.
मोरीसे ने कहा, इससे पता चलता है कि संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं पर वायु प्रदूषण का काफी प्रभाव पड़ता है. वायु प्रदूषण से संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है जिससे हमारी सेहत खराब हो रही हैं.
यह शोध पत्रिका ‘एन्वायरमेंटल माइक्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ, इसमें बताया गया है कि वायु प्रदूषण कैसे हमारे शरीर के श्वसन तंत्र नाक, गले और फेफड़े को बुरी तरह प्रभावित करता हैं, वायु प्रदूषण का प्रमुख घटक कार्बन है.
यह डीजल, जैव ईंधन व बायोमास के जलने से पैदा होता है इसके अलावा शोध से पता चलता है कि यह प्रदूषक जीवाणु के उत्पन्न होने और उसके समूह बनाने की प्रक्रिया को बदल देता है इससे उनके श्वसन मार्ग में वृद्धि व छिपने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने में सक्षम हो जाता है.
यह शोध दो मानव रोगाणुओं स्टेफाइलोकोकस अयूरियस और स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया पर किया गया. यह दोनों प्रमुख श्वसन संबंधी रोगकारक हैं जो एंटीबॉयोटिक के प्रति उच्च स्तर का प्रतिरोध दिखाते हैं.
शोध दल ने पाया कि कार्बन स्टेफाइलोकोकस अयूरियस के एंटीबॉयोटिक बर्दाश्त करने की क्षमता को बदल देता है और यह स्टेफालोकोकस निमोनिया के समुदाय की पेनिसिलीन के प्रति प्रतिरोधकता को भी बढ़ा देता है.
इसके अलावा पाया गया कि कार्बन स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया को नाक से निचले श्वसन तंत्र में फैलाता है, जिससे बीमारी का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
वायु प्रदूषण से बचाए यह योगासन :
अनुलोम-विलोम प्राणायाम:
अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है, इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्रसे सांस को बाहर निकालते हैं यह काफी आसान वा इफेक्टिव योग हैं इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक करे और बाद में इसका अभ्यास 10 मिनट तक करे
कपालभाति प्राणायाम:
इसके लिए पालथी लगाकर सीधे बैठें, आंखें बंदकर हाथों को ज्ञान मुद्रा में रख लें ध्यान को सांस पर लाकर सांस की गति को अनुभव करें और अब इस क्रिया को शुरू करें इसके बाद इसके लिए पेट के निचले हिस्से को अंदर की ओर खींचे व नाक से सांस को बल के साथ बाहर फेंके फिर यह प्रक्रिया बार-बार इसी प्रकार तब तक करते जाएं जब तक थकान ना लगे, फिर पूरी सांस बाहर निकाल दें और सांस को सामान्य करके आराम से बैठ जाएं.
सूर्यभेदी प्राणायाम:
सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं इसके बाद आंखें बंद रखें. बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ष्ज्ञान मुद्रा में रखें, फिर दाएं हाथ की अनामिका से बाएं नासिका के छिद्र को दबाकर बंद करें.
इसके बाद दाई नासिका से जोर से श्वास अन्दर लें. अपनी क्षमता के अनुसार श्वास रोकने का प्रयास करें, फिर दाएं नासिका के छिद्र को बन्द कर बाएं नासिका छिद्र से श्वास निकाले.
प्रारम्भ में इसके कम से कम 10 चक्र करें और धीरे-धीरे जब आप अभ्यस्त हो जाएं तो इसके चक्र बढ़ा लें. शुरू-शुरू में अभ्यासी इस प्राणायाम को करते वक्त सिर्फ दाई नासिका से सांस लें और बाई नासिका से निकाले, सांस रोकने का अभ्यास ना करे.
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