आजकल मोबाइल हर किसी के लिए रोज़मर्रा की ज़रूरत के सामान जैसा हो गया हैं, जैसे लोगो को रोटी, कपड़ा, मकान बहुत ज़रूरी हैं ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए इसी प्रकार मोबाइल भी एक ऐसी चीज़ हो गयी हैं जिनके बिना लोगो की ज़िन्दगी चलना ना मुमकिन हो गया हैं. लोग सुबह उठते ही सबसे पहले अपने मोबाइल चेक करने में लग जाते हैं वैसे तो मोबाइल होना ज़रूरी भी हैं क्योंकि यह कई प्रकार से आपकी मद्दद करता हैं, आपको लोगो से कनेक्ट रखता हैं और आप किसी भी परआकर की जानकारी इससे प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अगर लोग इसका ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करने लग जाए तो यह सेहत को कई प्रकार से नुक्सान पहुँचाता हैं और हमे कई प्रकार की बिमारियों से ग्रस्त करता हैं.

एक शोध के अनुसार वो व्यक्ति जो इसके एडिक्शन का शिकार हैं वो हर 4 सेकंड में अपना मोबाइल चेक करता हैं ,आजकल लोग जिस प्रकार से मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं उस प्रकार से तो यह हमे नुक्सान पहुँचाने के आलावा और कुछ भी नहीं कर रहा हैं लोग दिन हो या रात हर वक़्त मोबाइल में घुसे रहते हैं चाहे उन्हें उस वक़्त उससे कुछ काम हो या न हो लेकिन मोबाइल के एडिक्शन के कारण इसे परमानेंट हाथ में लिए रहना जैसे मजबूरी हो गयी हैं.

आज हम आपको बताएंगे के किस प्रकार मोबाइल का यह एडिक्शन बना रहा हैं आपको बीमार और किस प्रकार यह आपकी सेहत से खेल रहा हैं.

मोबाइल से सेहत को होने वाले नुक्सान:

हाल ही में ‘हेल्दीस्टफ’ और ‘आई-फिक्सइट’ ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार सुंदर और आकर्षक दिखने वाले मोबाइल हैंडसेट पर्यावरण और हमारी सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं जिसके कारण हम बीमार हो रहे हैं , रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल हैंडसेट तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायनों और धातुओं की वजह से मिट्टी, पानी और हवा में जहर घुल रहा है, ये रसायन और धातु घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इन रसायनों और धातुओं के कारण मिट्टी, पानी और हवा में जहर घुलता रहता है जिससे ना सिर्फ हमारे पर्यावरण को बल्कि हामारी सेहत को भ्ही कई प्रकार से नुक्सान पहुँचाता हैं, इनके प्रयोग से कई खतरनाक बीमारियां जन्मे ले रही हैं.

भुल्लकड़ बनाता मोबाइल:
यह सच हैं के मोबाइल के बहुत ज़्यादा उपयोग से यह आपकी याददाश्त को ख़तरा होता हैं, जी हैं जो लोग हर वक़त मोबाइल में जूझे होते हैं उनके दिमाग में मेमोरीज का भण्डार हो जाता हैं जिसे तो वो याद रख लेते हैं लेकिन इसके अलावा उनसे कहे गए रोज़मर्रा के काम या खुद के कुछ ज़रूरी काम वो याद नहीं रख पाते हैं.

 नौजवान हो या अधेड़ उम्र का व्यक्ति सबके साथ यही दिक्कत आ रहे घर के लोगो के द्वारा कहे गए काम बल्कि कुछ मिनट पहले कहे गए काम लोगो को याद नहीं रह पा रहे हैं इस तरह के केसेज़ बहुत ज़्यादा सामने आ रहे हैं जिनसे डॉक्टरों के पूछे जाने पर यह निष्कर्ष निकला की वो मोबाइल का उपयोग बहुत ज़्यादा करते हैं.

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कर रहा नर्वस सिस्टम को ध्वस्त:
मोबाइल से निकलने वाली रेडियो एक्टिव किरणे या होने वाले रेडिएशनस के कारण हमारा नर्वस सिस्टम खराब हो रहा हैं जो की हमारी सेहत के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं हैं, इसिलए डॉक्टर्स यह सलाह देते हैं की रात को सोते वक़्त मोबाइल को अपने सर के पास कतई ना रखे क्योंकि यह हमारे नर्वस सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकता हैं.

बहरा बना रहा मोबाइल:
मोबाइल का बहुत ज़्यादा यूज़ या मोबाइल पर घंटो बात करना हमे बहरा बना रहा हैं, आजकल हर कोई हैंडफ्री का इस्तेमाल ज़ोरो पर करता हैं तो जब लोग बात नहीं कर रहे होते तो वो लोग या तो गाने सुन रहे होते हैं या फिर वो वीडिओज़ या मूवी देखगे रहे होते हैं कई लोगो को ऊँची आवाज़ में गाना सुनना बहुत पसंद होता हैं जिसके कारण यह हमारे कान के परदे को कमज़ोर बना रहे हैं, और हमे धीमे-धीमे बहरा बना रहा हैं.

ऐसे कई हादसे सामने आये हैं की लड़के/लड़कियां कानो में हैंडफ्री लगाए चले जा रहे हैं और उन्हें ट्रैन की आवाज़ नहीं सुनाई दी तो वो इसकी चपेट में आगये या फिर वो किसी सड़क दुर्घट५न का शिकार हुए तो इस प्रकार यह हमारे लिए जानलेवा भी साबित हो रहा हैं.

सेल्फी बना रही बूढा:
जी हां आजकल लोगो सेल्फीमेनिया हो गया हैं लड़के हो या लड़की हर कजोई अपनी दिन रात सेल्फी खींचता रहता हैं और उसे किसी सोशल मीडिया पर डालता रहता हैं, सेल्फी खींचने का नशा लोगो में बढ़ता ही जा रहा हैं, एक रिपोर्ट के अनुसार जो लोग बहुत ज़्यादा सेल्फी खींचते हैं मोबाइल के रेडिएशन के कारण यह उनके त्वचा पर सीधा असर कर रही हैं और उनकी चेहरे को जल्दी बूढा बना रही हैं.
कई बार लोग विचित्र ढंग से सेल्फी लेने के चक्कर में अपना हाथ पेअर तुड़वा लेते हैं हैं या अपनी जान की भी परवाह नहीं करते जो की गलत हैं, इस प्रकारा बहुत ज़्यादा सेल्फी खींचना नहीं चाहिए.

हो रहे नोमोफोबिया का शिकार:
ब्रिटेन की एक संस्था सिक्योर एन्वाय द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार- नोमोफोबिया रोग से ग्रसित महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक है, नोमोफोबिया में लोगो यह भरम रहता हैं की फोन कहीं खो न जाए, इस डर से अब लोग दो या इससे ज्यादा फोन सेट अपने पास रखने लगे है, अपने से अलग नहीं होने देते, जहाँ 70 प्रतिशत महिलाएँ नोमोफोबिया है वहीं 62 प्रतिशत पुरूषों में यह रोग देखा गया है. जो की बहुत ही हानिकारक साबित हो रहा हैं.

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सूड़ो पैरानायड सिजोफे्रनिया के शिकार:
आज के दौर में व्यक्ति अपने मोबाइल की रिंगटोन सुनने के इतने आदि हो चुके है कि रिंगटोन ना बजने पर भी उसकी धुन उन्हें सुनार्इ देती है और बार-बार उन्हें भ्रम होता है कि उनका मोबाइल फोन बज रहा है इसके कारण वे अपना मोबाइल कई बार देखते है और चेक करते है यह स्थिति ‘‘सूड़ो पैरानायड सिजोफे्रनिया’’ है.

जो मस्तिष्क की तंत्रिकाओं में शिथिलता आ जाने के कारण उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति अपने पास एक या उससे अधिक फोन रखते है, वे इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं इस रोग के दौरान व्यक्ति अकसर गहरी निद्रा से यह सोचकर जाग उठते है कि फोन बज रहा है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता हैं इस प्रकार की स्तिथि को सूड़ो पैरानायड सिजोफे्रनिया कहते हैं.

बढ़ा रहा अल्जाइमर का खतरा:
अल्जाइमर में लोग अपनी याददाश्त खो देते हैं, ऊपर दी दोनों बीमारियां नोमोफोबिया और सूड़ो पैरानायड सिजोफे्रनिया इसी रोग का शुरूआती लक्षण हैं जो की बहुत खतरनाक हैं अल्जाइमर जैसी बिमारी को पूरी तरह से ठीक करना या ठीक करना अभी नामुमकिन जैसा हैं इसीलिए यह बिमारी बहुत जटिल होती हैं, मोबाइल के बहुत ज़्यादा यूज़ से लोगो में यह बिमारी होने का खतरा बढ़ गया हैं.

बना रहा मानसिक रोगी:
इससे संबंधित शोध अध्ययन के अनुसार- दिन भर मोबाइल फोन के अत्याधिक इस्तेमाल से व्यक्ति की नींद प्रभावित हो रही है. उसका फोन कहीं गुम न हो जाए, कहीं खराब न हो जाए, कहीं सिग्नल न चला जाए जैसे डर आज युवाओं को मानसिक रोगी बना रहे है.

शोध के अनुसार यह रोग 17 से 24 वर्ष के युवाओं में अधिक पनप रहा है और इसके कारण 78 प्रतिशत युवा नोमोफोबिया हो चुके है. इस प्रकार आजकलके युवा हरवक़त तनाव में रहते हैं कभी उन्हें अपनी पिक्स के कम लिखे होने का खतरा होता हैं तो कभी उन्हें अपनी फ्रंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ना होने का खतरा होता हैं दिन रात मोबाइल में डूबे रहने वाले युवा इन कारणों से तनाव का शिकार हो रहे हैं जो की उन्हें मानसिक रोगी बना रहा हैं.

हो सकती हैं कैंसर जैसी बिमारी:
यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के एक शोध के अनुसार मोबाइल को वाइब्रेशन मोड पर ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से कैंसर का खतरा बढ़ रहा हैं, इसका कारण यह है कि मोबाइल के सिग्नल के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें आती है, वे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि को प्रभावित करती है और इससे टयूमर विकसित होने की संभावना बहुत ज़्यादा बढ़ जाती हैं.

मोबाइल टावर से मोबाइल फोन को जोड़ने के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें निकलती है वे मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास को प्रभावित करती है, चूँकि मस्तिष्क के भीतर भी सुचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रोमैग्नंटिक तरंगों के द्वारा ही होता हैं , अत: मोबाइल को तकिए के पास रखने से दिमाग की प्रकृतिक तरंगें प्रभावित होती है, इसके कारण शरीर में कैंसर सहित कई बिमारियों का खतरा होता हैं.

प्रजनन क्षमता को कर रह प्रभावित:
लंबे समय तक रेडियोफ्रिक्वेन्सी रेडियशन के प्रभाव में रहनें के कारण डीएनए स्पर्श कोशिकाओं में टुट जाते है, जिससे व्यक्ति की वीर्य गुणवत्त् और प्रजन्न क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इस कारण यह लोगो में प्रजनन क्षमता को खत्म करने का कार्य भी कर रह हैं.

इस प्रकार आप देख सकते हैं की कसी प्रकार से मोबाइल का एडिक्शन हमारे लिए और हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता हैं इसीलिए मोबाइल का यूज़ हद में रहकर सिर्फ ज़रूरत के लिए ही करे और माता पिता अपने बच्चो को इसकी अधिकता से होने वाले नुकसान को बताते रहे. जिससे उनमे या उनके बच्चो में यह बीमारियां ना हो.

yes this is true that addiction of mobile makes you so unhealthy and destroy your health as well as your life so use it according to the need not more

web-title: how bad a mobile effects on your health

keywords: mobile, addiction, diseases, bad effects

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