दुनिया में सबसे गहरा और सच्चा रिश्ता माँ और बच्चो का होता है जन्म से पहले से जन्म के बाद ताउम्र सिर्फ माँ ही होती हैं जो अपने बच्चे का ख्याल पूरी तरह से रखती हैं, बच्चे को कदम -कदम पर अपनी माँ के साथ की ज़रूरत होती हैं इसलिए यह रिश्ता दुनिया के और रिश्तो से महफूज़ और खूबसूरत होता हैं .
जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो उसके मन में कई प्रकार के सवाल होते हैं और अजीब-अजीब ख्याल आते हैं की कैसे वो अपने नन्ही सी जान का अच्छे से ख्याल रख सके. आजकल ज़्यादातर संयुक्त फैमिली का चलन चल पड़ा हैं जिसके कारण माता पिता फैमिली से अलग रहती हैं, जिसके कारण उनमे जानकारी का अभाव होता हैं जिससे मन में डर बना रहता हैं.
इस लेख में पूरी जानकारी दी गयी हैं की आप किस प्रकार से अपने बच्चे का ख्याल रख सकती हैं, यह कुछ मुख्य बाते हैं जिनकी जानकारी से आप भी बन पाएंगी अच्छे माता पिता.
नवजात शिशु की बेहतर देखभाल के लिए रखे इन बातो का ध्यान:
शिशु की देखबाल से हमारा यहाँ मतलब केवल खानपान से ही नहीं है बल्कि उसकी सम्पूर्ण देखभाल से है अच्छी देखभाल के लिए बच्चे की ठीक से साफ़ सफाई रखना, तेल की मालिश करना आदि जरुरी होता है, और भी अन्य बाते हैं जो इस प्रकार से हैं.
शिशु का आहार किस प्रकार का हो:
नवजात शिशु के लिए केवल अपनी माँ का दूध ही उत्तम होता हैं और जाने अनजाने में भी उनके मुँह में ऐसी कोई भी चीज़ नहीं दे जिनसे उन्हें परेशानी होने लग जाये और वो हजम भी ना कर पाये. कई लोग शिशु को पैदा होते तक वक़्त शहद चटा देते हैं जो बिलकुल गलत है. 6 महीने तक केवल माँ का दूध ही देना चाहिए.
शिशु के लिए स्तनपान है जरुरी:
पहली बार जब भी शिशु को अपनी गोद में ले स्तनपान जरूर कराये, जिन शिशुओं को जन्म से स्तनपान कराया जाता है, उनकी इम्युनिटी बहुत अच्छी होती हैं और वो बीमार कम पड़ते हैं , माँ के दूध के सेवन से वो कई प्रकार की बीमारियो के खतरे से बचे रहते है सिर्फ यही नहीं इससे बच्चे को पर्याप्त पोषण भी होता हैं.
शिशु के रोने को ना समझे सामान्य:
शिशु के रोने का सम्बन्ध ये है की वो आपसे कुछ कहना छह रहा हैं इसलये शिशु के रोने के कई कारण होते है जिन्हे सिर्फ उसकी माँ ही समझ पाती हैं , शिशु नॉर्मली इन कारणों से रोते हैं जैसे की भूख लगना, बिस्तर गीला हो जाने की वजह से यदि उनके रोने के पीछे के कारण यह नहीं है तो चिकित्सक की सलाह लेना बेहतर होगा.
करे तेल की मालिश:
शिशु को तेल की मालिश करना अनिवार्य होता हैं इससे उनकी हड्डियां मज़बूत बनाती हैं, इसीलिए उनकी मालिश करना आवश्यक होता हैं क्योंकि अगर बच्चे की हड़्डित्य जन्म से ही मज़बूत होंगी तो वो आगे भी मज़बूत रहेगा उनकी मालिश के लिए बादाम का तेल, जैतून का तेल या फिर बेबी तेल का ही इस्तमाल करे, ध्यान रखे की मालिश हलके हाथो से करे, इसके साथ उनके मालिश करने का समय भी निर्धारित रखे. शिशु को निलहाने से पहले भी मालिश करना फायदेमंद है.
ध्यान से नहलाये:
शिशु को नहलाने के लिए भी पानी किस प्रकार का हो इसका ध्यान रखे शिशु को ना एक दम गरम पानी से नहलाये ना एकदम ठंडे पानी से नहलाये शीशी को केवल गुनगुने पानी से ही नहलाये, शैम्पू का इस्तेमाल भी ध्यानपूर्वक करे, माइल्ड शैम्पू का इस्तेमाल करे जो शैम्पू खुद उपयोग करती हैं उसका उपयोग शिशु पर ना करे बेबी शैम्पू का प्रयोग करे.
शिशु को गरम वातावरण में रखे:
शिशु को गरम वातावरण में रखना जरुरी होता है, इससे शिशुओ को सर्दी बहुत ही जल्दी पकड़ लेती है, जिसके कारण उन्हें कई प्रकार कीबीमारी उन्हें का अंदेशा होता हैं क्युकी शिशु अपने शरीर का तापमान संतुलित नहीं रख पाते है, जिनसे उन्हें जल्दी ठण्ड लग जाती है.
शिशु की ठण्ड में देखभाल:
सर्दियों के मौसम में शिशु की खास देखभाल जरुरी होती है, क्योंकि सर्दियों में शिशुओं को ठण्ड लगने का खतरा ज़्यादा होता हैं और पसली चलना सर्दी खासी बुखार होने का खतरा ज़्यादा होता हैं इसीलिए उनके शरीर के तीनो हिस्सों यानी सर, पैरो , छाती का ख़ास ख्याल रखना आवश्यक होता हैं ठण्ड के दिनों में शिशु को ऐसे कपडे पहनाये जिनसे उन्हें ऑक्सीजन मिलती रहे, और सिर पर ऊन की टोपी पहनाये ताकि ठण्ड से कानो में हवा ना जा सके.
इन सबका ध्यान रखे जिससे आप अपने बच्चे का ख्याल सही से रख सके
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