पोर्शिया | चिकुनगुनिया एक तरह का वायरल बुखार है जो मच्छरो के कारण फैलता है. चिकुनगुनिया अल्फ़ा वायरस के कारण होता है जो मच्छरो के काटने के दौरान मनुष्यो के शरीर में प्रवेश कर जाते है. मच्छर काटने के लगभग 12 दिन में चिकुनगुनिया के लक्षण उभरते है. मच्छर काटने के दो से सात दिनों के बाद चिकुनगुनिया के लक्षण नजर आते है.
लक्षण
- ठण्ड लगकर तेज बुखार आना
- जी मिचलना
- जोड़ो में तेज दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- सर दर्द
- भूख कम लगना
- कमजोरी आना
- प्रकाश सहन न होना
- शरीर पर चकते निकलना
- जोड़ो में सूझन और विकृति
चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बहुत से घरेलु नुस्खे है. जिन्हें अपनाकर चिकुनगुनिया से खुद का बचाया जा सकता है. जानते है क्या है घरेलू उपचार
तुलसी और अजवायन – तुलसी और अजवायन चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बहुत अच्छी घरेलु औषधि है. उपचार के लिए अजवायन, किशमिश, तुलसी और नीम की सुखी पत्तिया लेकर एक गिलास पानी में उबाल ले. इस मिश्रण को बिना छाने दिन में तीन बार पिए.
अंगूर – अंगूर को गाय के गुनगुने दूध के साथ लेने पर चिकुनगुनिया के वायरस मरते है परन्तु अंगूर बीज रहित होना चाहिए.
गाजर- कच्ची गाजर खाना भी चिकुनगुनिया के उपचार के लिए बेहद फायदेमंद है. यह रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है साथ ही जोड़ो के दर्द में भी आराम करती है.
लौंग और लहसुन- जोड़ो के दर्द पर लहसुन को पीसकर उसमे लौंग का तेल मिलाकर कपडे की सहायता से जोड़ो पर बाँध दे. इससे जोड़ो का दर्द भी ठीक होगा उअर शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहेगा.
पपीता की पत्ती- पपीते की पत्ती चिकुनगुनिया में बेहद असरदार होती है. चिकुनगुनिया में हमारे शरीर की प्लेटलेट्स तेजी से गिर जाती है जो पपीते की पत्ती से तेजी से बढ़ जाती है. मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तिया रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़ा देती है. उपचार के लिए पपीते की पत्तियों को तोड़कर उन्हें पीसकर जूस निकाल ले और दो चम्मच जूस दिन में तीन बार ले.
लहसुन और सजवायन की फली- चिकुनगुनिया में जोड़ो में काफी दर्द होता है. ऐसे में शरीर की मालिश किया जाना बेहद जरुरी है. किसी भी तेल में लहसुन और सजवायन की फली मिलाकर तेल गर्म करके रोगी की मालिश करे.
नीम की पत्तिया – नीम की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर उस पानी से नहाये. ऐसा करने से दर्द से राहत मिलेगी और शरीर का तापमान भी नियंत्रित होगा.