प्रेग्नेंसी के वक़्त कई बाते बोली जाती हैं और करने को कही जाती हैं जितने लोग उतनी बाते होती हैं जसी प्रेग्नेंसी के दौरान सोने और खाने का ख्याल रखने को बोला जाता है. एक्सरसाइज करने के लिए बोला जाता है, कम काम करने को, आराम करने को और भी कई सारी बाते बोली जाती हैं.
यह बाते तब बोली जाती हैं जब आप नार्मल हो आपको स्वस्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या न हो लेकिन अगर आप दिल की बिमारी से जूझ रही हो और आपको प्रेगनेंसी जैसा सुखद एहसास हुआ हैं तब आपके लिए शायद ही कोई राय दे पाए.
आज भारत में पैदा होने वाले नवजातों में से दो लाख नवजात दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं. प्रेंगनेंसी के दौरान हार्ट रेट सामान्य से अधिक होता है और यह होना जरूरी भी है क्योंकि दिल जब अच्छी तरह से काम करता है तभी सही तरीके से ऑक्सीजन और ब्लड गर्भाशय में भ्रूण तक पहुंचता है जो की एक समान्य बच्चे के लिए बहुत ज्यादा ज़रूरी हैं.
अगर इस क्रिया में थोड़ी सी भी गड़बड़ी होती है तो बच्चे और मां दोनों के लिए यह खतरनाक हो सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर के अंदर ब्लड सप्लाई बढ़ जाता है जिसके कारण ही शरीर का हार्ट रेट भी बढ़ता है.
दिल से जुड़ी समस्या हो तो:
दिल से जुड़ी समस्याओं के दौरान सामान्य व्यक्ति को ऐसा कोई भी काम करने मना किया जाता है जिससे की दिल की धड़कनें बढ़ जाएं लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान दिल की धड़कनों की संख्या ऐसे ही भ्रुण को ब्लड और ऑक्सीजन सप्लाई करने के कारण बढ़ जाती है जिसको हमेशा ध्यान में रखना जरूरी है इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान प्रेग्नंट लेडी को अपना ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत हैं.
कभी-कभी बच्चे को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर दिल पर ऑक्सीजन की सप्लाई करने का प्रेशर बनता है जो दिल के लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं इस दौरान हार्टबीट को मॉनीटर करने की विशेष तौर पर जरूरत होती है इसके लिए बहुत ज़रूरी हैं की आप डॉक्टर्स से कंसल्ट करे अगर आप दिल की बिमारी से पीड़ित हैं और आपके गर्भ में बच्चा हो.
हार्ट की और कांप्लीकेशंस
आज के व्यस्त जीवन में महिलाओं के स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा खतरा हुआ है जिसके कारण उनके पास अपने लिए बिलकुल फुर्सत नहीं होती हैं ऑफिस और घर, दोनों में सामंजस्य बिठाते-बिठाते शरीर और दिल में सामंजस्य बैठाना महिलाएं भूल ही गई हैं जिनका नतीजा बहुत ज्यादा स्ट्रेस और हाइपरटेंशन और दिल से जुड़ी बीमारियों के तौर पर देखने को मिल जाता है.
हाई बीपी और हायपरटेंशन दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को और अधिक बढ़ा देती हैं. इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान दिल की बीमारियों को कम करने के लिए जरूरी है की हाई बीपी और हायपरटेंशन को नजरअंदाज ना करें.
प्रेग्नेंसी में रखें इन बातों का ख्याल
अगर प्रेग्नेंसी से पहले ही आपको दिल से जुड़ी बीमारी है तो प्रेग्नेंसी की प्लानिंग काफी एहितियात बरतते हुए करें या अगर आप प्रेगनेंसी की तयारी कर रही हैं तो आपको चाहिए की आप अपना टेस्ट करवाए जैसे के साथ ब्लड और यूरीन टेस्ट जरूर करवाएं।.
साथ ही भ्रुण के बारे में समय-समय पर जानकारी लेते रहें साथ ही इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखें-
एडवांस में करें प्रेग्नेंसी की तयारी उम्र बढ़ने पर शरीर में काफी बदलाव होता है और हार्टबीट की संख्या में कमी आती है तो उम्र का विशेष तौर पर ख्याल रखें माँ बनने की सही उम्र २० के बाद और २९ वर्ष के पहले होती हैं इसीलिए आप इस बात ध्यान ज़रूरे रखे.
स्मोकिंग और अल्कोहल ना लें
प्रेग्नेंसी के दौरान बजन का बढ़ना आम बात है लेकिन वो अधिक बढ़े तो चिंता की बात है इसीलिए अपने वज़न का भी ख़ास रखे.
हफ्ते के अनुसार वजन चेक कराते रहे.
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