पुरुषो में महिलाओ की तरह रजोनिवृति की समस्या होती हैं इस बात से बहुत ही कम लोग वाकिफ हैं लेकिन ऐसा होता हैं. पुरुषों की रजोनिवृति को एंड्रोपॉज कहा जाता हैं , हम सब को महिलाओ की रजोनिवृति के बारे काफी जानकारी होती हैं लेकिन पुरुषो में होने वाली इस समस्या से आज भी कई लोग अनजान हैं, भारत में यूपी में इसके मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं जो एक समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं.

महिलाओं की तरह पुरूषों में माहवारी बंद होने जैसी कोई स्थिति नहीं होती हैं, जिसके कारण पुरुष परेशान रहते हैं यह महिलाओ की तरह एक कुदरती प्रोसीजर नहीं होता हैं की होना ही होना हैं इस तरह के मामले पुरुषो में कम पाए जाते हैं जो की उम्र बढ़ने के साथ शुरू होती हैं. आईये जानते हैं इसके बारे में विस्तृत रूप से.

क्या होती हैं पुरुषो की रजोनिवृति:

एंड्रोपॉज को पुरुषों की रजोनिवृति है की तरह जाना जाता हैं, इसे एंड्रोजेन डेफीसेंसी इन एजिंग मेल्स रोग की तरह ही माना और जाना जाता है, दरअसल मर्दों के लिए एंड्रोपॉज के वही मायने हैं, जो महिलाओं के लिए मेनोपॉज या रजोनिवृति के होते हैं. लेकिन यह काफी हद तक अलग भी हैं. इस बिमारी के होने पर पुरुषो के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं.

एक शोधकर्ता के अनुसार इसे सामाजिक दाग कहा जाता हैं, जिसके फलस्वरूप लोगो में इसकी जानकारी का बहुत आभाव होता हैं, वास्तव में एंड्रोपॉज के शुरुआती लक्षणों को सीधे यौन क्षमता में कमी या पुरुषों में यौन संबंधों की इच्छा में कमी के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए

इसके होने के कुछ कारण इस प्रकार से हैं यह बोन डेन्सिटी और मांसपेशियों की ताकत में कमी और कई बार मोटापे के चलते भी बढ़ जाती है. पुरुषो में यह समस्या 30 साल के उम्र में होना शुरू हो जाती हैं.

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क्या होते हैं कारण:

जैसा की हम पहले पढ़ चुके हैं, बोन डेन्सिटी और मांसपेशियों की ताकत में कमी और कई बार मोटापे के चलते भी बढ़ जाती है. यह समस्या 30 साल के ऊपर के लोगो को होना स्टार्ट हो जाती हैं, जिस प्रकार महिलाओ में मोनोपौज़ होता हैं इसी प्रकार कुछ पुरुषो में यह समस्या एंड्रोपॉज के रूप में जानी जाती हैं.

हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार, यह कहा है कि 45 साल की उम्र के बाद पुरुषों को भी एंड्रोपॉज होता है यह समस्या तब होती है जब अंडकोष से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन पर्याप्त नहीं होता, रजोनिवृति के कारण पुरुषो में कई प्रकार के शारीरिक वा मानसिक बदलाव भी आते हैं, हालांकि ये लक्षण उम्र बढ़ने से संबंधित होते हैं, पर फिर भी इसका संबंध कुछ विशिष्ट किस्म के हार्मोंनों में बदलाव से होता है.

महिलाओ में इस प्रकार की समस्या उनकी प्रजनन क्षमता खत्म होने पर होती हैं लेकिन पुरुषो में इस समस्या को उनकी प्रजनन क्षमता के खत्म होने से नहीं जोड़ा जा सकता हैं. यह कई पुरुषों में होने वाली सामान्य प्रक्रिया जो उम्र बढ़ने के साथ होती है और यह उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

क्या होती हैं पुरुषो में रजोनिवृति की अवधि:

पुरुषो में यह समस्या 40 से 49 साल की अवस्था में शरू होता है, जो लगभग 2 से 5 प्रतिशत की गति से यह प्रक्रिया बढ़ती जाती हैं.

इसी तरह 50 से 59 के बीच की अवस्था के साथ यह लगभग 6 से 40, 60-69 में लगभग 20 से 45 प्रतिशत, 70-79 में लगभग 70 प्रतिशत के बीच बढ़ती है.

80 साल की उम्र तक इसी तरह हाईपोगोनेडिज्म के गिरने की दर 91 फीसी हो जाती हैं.

इसमें मध्यवय के पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बनने की प्रक्रिया धीमी लेकिन स्थिर गति से कम होती जाती है, जिसके कारण उनकी यौन क्षमता में कमी आजाती हैं, और वो सेक्स से दूर भागने लगते हैं और इसके परिणामस्वरूप लेडिंग सेल्स बनने में भी कमी हो जाती है.

रजोनिवृति के दौरान होने वाले बदलाव:

इस दौरान पुरुषो में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, इस समय पुरुष चाहते हैं की उनके इर्द गिर्द लोग रहे वो पूरी तरह से अपने घरवालो का सपोर्ट चाहते हैं, इस दौरान पुरुष घर के कामो में दिलचस्पी दिखाने लगते हैं जैसे खाना बनाना, सफाई करना और बच्चों की देखभाल करना उसे अच्छा लगने लगता है लगते हैं.

धार्मिक हो जाते हैं, उनमे धार्मिक रूझान बढ़ने लगता हैं और वो अध्यात्म में रूचि दिखाने लगते हैं, ऐसे में वो फ़िज़ूल के झगड़ो से भी बचते हैं.

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