Laser Pigmentation removal, Procedure, Result and guidelines

पिगमेंटेशन, मेलेसमा, और टैनिंग से छुटकारा पाने के लिए अपनाये ये ट्रीटमेंट

अब गर्मियां शुरू होने वाले है और इस गर्मी में कई बार आपको भयंकर स्किन डिसऑर्डर्स का सामना करना पड़ता है. लगातार धूप में रहने से हमारी त्‍वचा की रंगत असमान तो होती हैं ही साथ ही में हमारे चेहरे में काले धब्बे पड़ जाते हैं और धीमे धीमे झाईया भी पड़ने लगती हैं.

धूप में अधिक वक्‍त बिताने के कारण शरीर में मेलानिन का स्‍तर बढ़ जाता है. मेलानिन वह तत्‍व है जो हमारी त्‍वचा की रंगत निर्धारित करता है. मेलानिन का स्‍तर बढ़ने से हायपरपिगमेंटेशन की समस्‍या हो सकती है जिससे हमारी साड़ी खूबसूरती चीन जाती हैं.

त्‍वचा की ऐसी स्थिति सूर्य की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताने, हॉर्मोन्‍स में बदलाव, अनुवांशिक कारण, दवाओं के दुष्‍प्रभाव और अन्‍य कारणों से भी हो सकती है कई बार एक्‍ने की समस्‍या भी समय के साथ हायपरपिगमेंटेशन का रूप धारण कर लेती है.

हम सभी को जीवन में कभी न कभी इस तरह की समस्‍या का पालन करना पड़ता है। कभी डार्क पैचेज, कभी बर्थ मार्क, कभी मस्‍से और कभी उम्र के निशान, ये समस्‍या किसी न किसी रूप में हमारे सामने आती रहती है

समस्‍या को अगर जल्‍दी पहचान लिया जाए, और अगर आप इस समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो इसका हल निकाल पाना आसान हो जाता है अगर आप हायपरपिगमेंटेशन को लेकर किसी प्रकार के संशय में हैं.

तो आप डॉक्‍टर से बात कर सकते हैं और डॉक्‍टर से बात करके आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि आखिर आपको किस स्‍तर का हायपरपिगमेंटेशन हैं जैसे की आपको मेलेसमा है अथवा लेंटिजेनस या फिर लिवर स्‍पॉट की परेशानी है.

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मेलेसमा भी एक प्रकार का स्किन डिसॉर्डर है आमतौर पर हॉर्मोन समस्‍या से जुड़ा होता है. कई बार गर्भावस्‍था और रजोनिवृत्ति के दौरान हॉर्मोन में बदलाव होते हैं. जिनका असर भी त्‍वचा पर नजर आता है.

इसके अलावा कई बार गर्भनिरोधक गोलियां भी मेलेसमा का कारण बनती हैं. मेलेसमा के कारण गालों, माथे और ऊपरी होंठ पर निशान पड़ जाते हैं. आमतौर पर यह समस्‍या सतही होती है.

लेकिन कई बार यह त्‍वचा की भीतरी परतों को भी प्रभावित करती है और सूरज की धूप में काफी वक्‍त बिताने से यह समस्‍या और भी गंभीर हो सकती है, इसीलिए मेलेसमा रिमूव करना बेहद ज़रूरी हैं.

हल्‍के रंग वालों पर दिखाती है असर:

वे लोग जिनकी त्‍वचा का रंग हल्‍का है उन्‍हें झाइयां पड़ने की आशंका अधिक होती है और जिन लोगों को चोट के कारण त्‍वचा पर कोई निशान पड़ गया हो, अथवा जिन्‍हें एक्‍ने, रेशेज और स्‍ट्रेच मार्क की परेशानी हो, को हायपरपिगमेंटेशन का खतरा भी अधिक होता है.

Pigmentation Removal Treatment in Delhi:

डॉक्‍टर से बात करें:

आपके लिए सबसे जरूरी है कि आप Skin specialist in Delhi से आप सम्पर्क करे और उसे अपनी परेशानी बताये वह इस समस्‍या की गंभीरता के बारे में सही सही अंदाजा लगा पाएगा और उसके आधार पर ही आपके रोग का‍ निदान करना संभव होगा और डॉक्‍टर आपकी समस्‍या को देखेगा और इसके कारणों के मूल तक पहुंचेगा.

Laser Pigmentation removal, Procedure, Result and guidelines

Laser Pigmentation Treatment in Delhi:

लेजर थैरेपी के जरिये भी इस तकलीफ से निजात पायी जा सकती है. यह लेजर थेरेपी जन्‍मजात निशानों और टैटू हटाने में भी अपना असर दिखाती है और इसके साथ शरीर के अनचाहे बालो को निकालने में भी काफी कारगर हैं.

इस ट्रीटमेंट में कोई दर्द नहीं होता, इसलिए इसे काफी पसंद किया जाता है और इसके कुछ सेशन के बाद ही आप निशान कम होते देख सकते हैं इसके अलावा लेजर ट्रीटमेंट हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है. महिला और पुरुष दोनों ही इसका समान रूप से फायदा उठा सकते हैं.

लेजर ट्रीटमेंट में लाइट की तेज किरण ट्रीटमेंट किए जाने वाले हिस्से पर डाली जाती है और यह स्किन के ऊपर या अंदर वाली लेयर तक जाकर ट्रीटमेंट करती है और लेजर तकनीक से स्किन के अनचाहे हिस्से को बर्न कर दिया जाता है जिससे पिगमेंटेशन आसानी से कुछ ही सेशंस में रिमूव हो जाती हैं.

इसके जरिए चेहरे की झुर्रियों, दाग और धब्‍बों को से छुटकारा पाकर साफ वा सुंदर चेहरा पाया जा सकता है. इसके साथ ही लेजर तकनीक से आंखों के नीचे बनने वाले काले घेरों, मुंहासों व चिकनपॉक्‍स के निशान, क्षतिग्रस्‍त त्‍वचा और मस्‍से आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है.

कैसे काम करती है लेजर तकनीक:

यह तकनीक पूरी तरह से किरण पुजों पर आधारित होती है. इसमें त्वचा पर विशेष प्रकार की लेजर किरणों को डाला जाता है. इस तकनीक का मकसद बालों की जड़ों में मौजूद मेल्निन को खत्‍म करना होता है.

लेजर तकनीक के जरिए चेहरे की प्रभावित त्‍वचा को भी हटा दिया जाता है और उसके जगह नयी त्वचा निकल आती है. इससे ट्रीटमेंट के बाद त्वचा कुछ समय तक गुलाबी रहती है और फिर धीरे-धीरे यह सामान्‍य रंग पा लेती है. आपका सर्जन आपकी त्‍वचा की जांच करने के बाद ही यह तय करता है कि आपको लेजर ट्रीटमेंट की कितनी सिटिंग लेनी होंगी.

लेज़र तकनीक में सावधानी:

लेजर तकनीक से उपचार कराने पर आपकी त्‍वचा कमजोर हो सकती है और ट्रीटमेंट के बाद कुछ दिनों के लिए स्किन को बैंडेड से ढका जाता है अगर आप लेज़र ट्रीटमेंट लेना चाहते हैं तो लेजर ट्रीटमेंट कराने के लिए हमेशा एक्‍सपर्ट का ही चयन करना चाहिए.

लेजर की एक से दूसरी सेटिंग के बीच करीब चार से छह हफ्ते का अंतराल होना चाहिए. डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मुताबिक कुछ दिनों तक आपको सूर्य की किरणों से भी त्वचा का बचाव करना चाहिए.

लेजर तकनीक का खतरा:

अगर आप अपना उपचार एक एक्सपर्ट से कराते हैं तो इससे होने वाले खतरों से बचने की संभावना ज्‍यादा रहती है इसके अलावा गहरे रंग की त्‍वचा वाले लोगों को टैनिंग की समस्‍या हो सकती है. साथ ही कई बार लापरवाही से जख्‍म होने, सूजन आने और स्किन के लालिमा युक्‍त होने की भी आशंका रहती है.

जैसा की ऊपर लिखा है की अगर आप किसी अच्छी क्लिनिक या किसी एक्सपर्ट से स्किन ट्रीटमेंट नहीं करवायेंगे तो आपको काफी नुकसान होगा इसीलिए अगर आप किसी अच्छी क्लिनिक की खोज में है तो आपकी खोज यहां खत्म होती हैं.

Adorable clinic स्किन ट्रीटमेंट करने में बेस्ट है क्योंकी हमारे Best dermatologist in Delhi आपको अच्छी ट्रीटमेंट देने में माहिर है, इसीलिए हम दस वर्षो से इस फील्ड में सफलतापूर्वक काम क्र रहे है हमे कॉल करने के लिए इस नंबर पर सम्पर्क करे 919711150928.

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