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कौन से हैं वो कारक जिनसे बढ़ती हैं गर्भपात की आशंका और भी ज़्यादा

गर्भपात होना कसी भी महिला के लिए बुरे सपने से कम नहीं हैं , जो महिलाये इस परेशानी से गुज़रती हैं उनके लिए यह बहुत ही बुरा एक्सपीरियंस होता हैं, जिससे उभरने में उन्हें बहुत समय लग जाता हैं, कई माहिलाओ के साथ होता हैं की उन्हें पता भी नहीं होता हैं की वो गर्भवती हैं लेकिन उसके पहले ही उनका गर्भपात हो जाता हैं.

ज़्यादातर महिलाओ को गर्भपात १६ हफ्ते में होता हैं. गर्भपात में महिला के शरीर से भ्रूण का कुछ हिस्सा, अपरा (प्लेसेंटा) और शिशु के आसपास का तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है, ज्यादातर मिसकैरेज लगभग (80%) असामान्य क्रोमोसोम की वजह से होते हैं. जो की एक बहुत बड़ा कारण होता हैं इसका.

गर्भपात होने के मुख्या कारण:

स्वास्थ्य कारक:

हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी में समस्या, सर्वाइकल समस्या वा यूट्रस में असामान्यता के कारण महिलाओ में गर्भपात हो जाता हैं अगर माँ की सेहत खराब होती हैं, तो उनके अंदर पल रहे बच्चे भी इससे बहुत ज़्यादा इफ़ेक्ट होते हैं.

धूम्रपान:

धूम्रपान के कारण बच्चे में कई प्रकार की बिमारियां हो जाती हैं जो महिलाये धूम्रपान करती हैं उनके क्रोमोसोम्स में असामान्यता और भूर्ण में ऑक्सीजन की कमी हो जाती हैं जिसके कारण गर्भपात का खतरा बहुत ज़्यादा बढ़ जाता हैं. ऐसे महिलाओ से पैदा हुए बच्चे को कई बिमारियां लगने के साथ-साथ उनका वज़न भी कम होता हैं.

कैफीन :

जो महिलाये दिन भर में बहुत ज़्यादा चाय या कॉफ़ी का सेवन करती हैं, उनके शरीरमें कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा पायी जाती हैं जिसके फलस्वरुप मृत बच्चे को जन्म देना या गर्भपात की बात सामने आयी हैं.

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विषाक्त रसायन:

कई बार गर्भवती महिलाओं को यह जानकारी नहीं होती है कि उन्हें इस दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं जिसके चलते वो खराब खान-पान का सेवन कर लेती हैं , जो उनके गर्भ को बहुत नुक्सान पहुँचाता हैं गर्भावस्था में कच्चा व अधपका खाना, मीट व बासी खाना खाने बचना चाहिए , इस तरह के खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिनके सेवन से गर्भपात को खतरा बढ़ जाता है.

फोलिक एसिड :

गर्भावस्था में फोलिक एसिड की कमी के कारण महिलाओ में खून की कमी हो जाती हैं जिसके चलते गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास नही होता हैं, जिसके कारण गर्भपात हो जाता हैं, इसीलिए इस समय महिलाओ को फोलिक एसिड के सेवन की सख्त ज़रूरत होती हैं.

तनाव:

इन दिनों में महिलाओ ले अंदर बहुत ज़्यादा हार्मोनल चंगेज़ होते हैं जिसके कहलते उनका मूड बहुत ज़्यादा स्विंग करता रहता है, गर्भावस्था के दौरान मां के मूड का प्रभाव शिशु पर भी होता है, अगर मां खुश है तो शिशु का विकास अच्छा होता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान आप मानसिक रुप से परेशान वा तनाव में रहती हैं तो यह आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है.

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