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अपनी त्वचा का रखे ख्याल, नहीं तो कम उम्र ही में दिखने लगेंगे बूढ़े

इस ज़माने में त्वचा कि देखभाल हमारी ज़िन्दगी का सबसे एहम हिस्सा बनती जा रही है, हम त्वचा की कितनी देखबाल करते है यह हमारी उम्र, लिंग, समाजक-आर्थिक हैसियत और सेहत पर निर्भर करता है. हमें अपनी त्वचा कि देखबाल का मंत्र सीख लेना चाहिए.

हमे कैसे और किस तरह से अपनी त्वचा की देखबाल करनी चाहिए, इसके लिए हमें ये जानना ज़रूरी है कि आपकी त्वचा की प्रकिर्ति है, त्वचा की बाहरी परत यानी एपिडर्मिस शरीर का कवच है, कटने-फटने से निजात पाने के लिए यह परत हर वक्त खुद को नए ढंग से तैयार करने की प्रक्रिया में लगी रहती है.

कुछ लोगों की पूरी एपिडर्मिस मोटी होने लगती है क्योंकि मृत कोशिकाओं की परत बढऩे के साथ-साथ कोशिकाओं में पिगमेंट (मेलानिन) की मात्रा भी बढऩे लगती है. इस असामान्य बदलाव को चिकित्सा जगत की भाषा में एकेंथोसिस निगरीकंस (एएन) कहते हैं. इसके लक्षण हैं शुरू में काले घेरे, ठोडी का रंग बदलना, गर्दन और बगल का निचला हिस्सा काला होना. कुछ लोगों में त्वचा बदरंग होने लगती है,

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एएन वाले लोगों का वजन आम तौर पर सामान्य से ज्यादा होता है. उन्हें कील-मुहांसे, चेहरे पर बहुत ज्यादा बाल, कभी न जाने वाली रूसी और लगातार बाल गिरने की शिकायत रहती है, एएन की सबसे आमफहम वजह इंसुलिन रजिस्टेंस (आइआर) है, इस मेटाबोलिक अवस्था का इलाज कराना बेहद जरूरी है,

आइआर से जुड़े नतीजे खराब आने पर बुढ़ापा समय से पहले आ जाता है, झाइयां दिखने लगती हैं और खासकर गालों और माथे पर काले धब्बे पडऩे लगते हैं और झुर्रियां पड़ जाती हैं. विटामिन-डी की कमी होने पर भी एपिडर्मिस की संरचना और मजबूती पर असर पड़ता है, विटामिन डी की कमी होने पर त्वचा खुश्क और मोटी हो जाती है. हथेलियों और तालुओं की खाल सख्त हो जाती है और उसमें दरारें पडऩे लगती हैं.

त्वचा की भीतरी परत डर्मिस कुशन की तरह काम करती है और मजबूती देती है और त्वचा के अहम अंगों जैसे रोम कूपों, तैलीय और पसीने की ग्रंथियों, धमनियों के जाल और तंत्रिकाओं को कवच प्रदान करती है.

Key-Words: Skin, Precaution, Moisturiser, Creem, AN, IR

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