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    Categories: Health

अगर आप भी करते हैं रिफाइंड आयल का सेवन तो इस लेख को पढ़ने के बाद आप भी हो जाएंगे सावधान

हर कोई आजकल अपनी फिटनेस को लेकर चिंतित रहता ह्यें और इसके लिए कई जतन करते हैं, इसी के चलते लोग आजकल रिफाइंड आयल को खाना ज़्याद प्रेफर कर रहे हैं, क्यूकी इसमें फैट कम होता हैं, आजकल रिफाइंड आयल के बेनिफिट्स और उनकी मार्केटिंग को ले कर बहुत विज्ञापन आते हैं, उन विज्ञापनों में ऐसा बोला जाता हैं की यह सेहत के लिए अच्छा हैं, दिल के लिए अच्छा हैं, इसे खाने से आप मोटे नहीं होंगे आदि और आप कही ना कही आज सरसो के तेल से ज़्यादा रिफाइंड खाना पसंद करते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं रिफाइंड तेल के खाने के भी कई नुक्सान हैं जो इस प्रकार से हैं.

रिफाइंड तेल खाने के नुक्सान:

किस प्रकार तेल किया जाता हैं रिफाइंड:

रिफाइंड आयल बनाने के लिए तिलहन में इसे 200 से 500 डिग्री सेल्सियस तक गरम किया जाता हैं, इसके साथ ही बीजो से तेल निकालने के लिए खतरनाक पेट्रोलियम तत्व हेग्जेन का प्रयोग भी किया जाता हैं. जो की सेहत के लिए अच्छा नहीं हैं.

डायबिटीज होने का होता हैं खतरा:

हलवाई और भोजनालय में भी आजकल वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग चलन में हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं. इस तरह से अगर तेल को बार-बार गरम किया जाता हैं तो यह जहर से भी बदतर हो जाता है, शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं. इस प्रकार आप इस तरह मधुमेह के शिकार भी हो सकते हैं.

ऊतकों को पहुँचती हैं छति:

शोधकर्ताओं की माने तो इसको इतने ज़्यादा डिग्री पर गरम करने के कारण इसमें हने नामक टॉक्सिक पदार्थ सृजित होता हैं, यह घातक तत्व शरीर में ऊतकों को प्रोटीन वा अन्य आवश्यक तत्व को छति पहुँचाते हैं, इसके कारण स्ट्रोक, अल्जीमर, पार्किसन जैसे घातक रोग होने का खतरा बढ़ जाता हैं.

इस तरह से नुक्सान पहुचाये रिफाइंड आयल:

रिफाइंड आयल के कारण शरीर में ओमेगा३ वा ओमेगा६ का अनुपात पूरी तरह से बिगड़ जाता हैं जिसके कारण बहुत से रोह होने की आशंका बढ़ जाती हैं, जो सेहत के लिए सही नहीं हैं. जब शरीर में इनका अनुपात बिगड़ जाता हैं तो हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है.

केमिकल का होता हैं इस्तेमाल:

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किसी भी तेल को रिफाइंड करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है , तो आप यहाँ से समझ लें की यह आपको कितना नुक्सान पहुँचा सकता हैं.

तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब इनऑर्गेनिक हैं और इनऑर्गेनिक केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका कॉम्बिनेशन जहर के तरफ ही ले जाता है , इसीलिए रिफाइंड तेल वा दुबले रिफाइंड तेल गलती से भी ना खाएं.

प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है:

पड़तीं शरीर के विकास के लिए ज़रूरी हैं, सभी तेलों में कम से कम 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं , रिफाइंड आयल बनाने के लिए आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका फैटी एसिड गायब. अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है जैसा हो जाता हैं.

इस प्रकार ऐसे रिफाइंड तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं,. जो की इस प्रकार से हैं.

घुटने का दुखना,
कमर का दुखना,
हड्डियों में दर्द
हृदयघात के संभावना का बढ़ना.
पैरालिसिस का होना.
ब्रेन का डैमेज हो जाना.

आदि बीमारियां होने का खतरा बहुत ज़्यादा बढ़ जाता हैं , जिन-जिन घरों में पूरे मनोयोग से रिफाइंड तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, जिनके यहाँ रिफाइंड तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ हार्ट ब्लॉकेज और हार्ट अटैक की समस्याएं हो रही है.

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