आज अधिकतर रोगों का कारण हैं वायु प्रदुषण हैं , जो की दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं जिसके कारण लोगो में बहुत ज़्यादा बीमारियां हो रही हैं, वायु प्रदूषण सिर्फ बाहर ही नहीं अब घर में भी बढ़ता जा रहा है, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे फेफड़े होते हैं, इस कारण फेफड़ो में इन्फेक्शन तक हो जाता हैं, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मनुष्य बहुत से उपाय कर रहा है. लेकिन यह उपाय कितने सही होते हैं कितने नहीं यह तो रिजल्ट ही बताता हैं.

लेकिन अगर आप इन बीमारियों से बचना चाहते हैं तो इससे बचाव के लिए सबसे अधिक जरूरी है इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाना. प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी है विटामिन ई युक्त पदार्थों का सेवन, क्योंकि इनमें कुछ ऐसे एंटी आक्सीडेंट होते हैं जो हमारे रोग प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत रखते हैं, विटामिन ई के सेवन से हमारा इम्यून सिस्टम अच्छा होता हैं, इसके अलावा यह हमे कई रोगों से बचाता भी हैं.

फेफड़ो के लिए बहुत ज़्यादा नुकसानदेह हैं प्रदुषण:

सिर्फ बाहर का ही नही बल्कि घर में होने वाला वायु प्रदुषण भी बहुत ज़्यादा घातक हैं, एक शोध के मुताबिक खाना बनाने, रोशनी या ठंड के मौसम में कमरे को गर्म रखने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला ईंधन फेफड़ों के लिए बहुत खतरनाक है, इसके अलावा आप घर में जो मॉसक्विटो रेपलेंट का इस्तेमाल करते हैं इन सबसे हमारे फेफड़े की प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर होती है.

इसके अलावा जैसा की आप सब जानते हैं धूम्रपान करना फेफड़ों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है. कोई जितना अधिक धूम्रपान करेगा, लंग कैंसर और सीओपीडी का खतरा उतना ही अधिक बढ़ेगा, ज्यादातर गर्मी के महीने में कुछ जगहों में ओजोन और दूसरे प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग ज्यादातर वायु प्रदूषण से संवेदनशील होते हैं, इसीलिए इनसे हम बचाव ही कर सकते हैं, और इनसे बचाव हमारा प्रतिरक्षा तंत्र यानी की इम्यून सिस्टम करेगा.

विटामिन ई हैं फायदेमंद:

विटामिन ई का सेवन कमजोर हो रहे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है.

यह जीवाणुओं से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है, जिसके कारण आप किसी भी प्रकार के संक्रमण से बच सकते हैं.

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विटामिन ई का एक खास गुण यह हैं कि यह स्वयं ऑक्सीकृत होने के बावजूद अन्य तत्वों को ऑक्सीकृत होने से बचाता है.

यह कोशिकाओं तक पहुंचने वाले रक्त दूषित तत्वों को अलग करता है और रक्त को सही सलामत रखता है, यह रूधिर कणिकाओं की रक्षा करने वाला है तथा खून में पडऩे वाले थक्को में रुकावट डालता है. जिससे रक्त के थक्के नहीं जमने पाते हैं और आपके फेफड़ो को कोई परेशानी नहीं होती हैं.

शरीर की संपूर्ण कमी को समाप्त करता है. शरीर को पोषण प्रदान करता हैं. शरीर में विटामिन ई की आवश्यकता इसके ऑक्सीकरण प्रतिरोधी गुणों के कारण है.

विटामिन ई के स्रोत:

विटामिन ई समस्त वानस्पति भोज्य पदार्थों में अधिक मात्रा में पाया जाता हैं.

यह वानस्पतिक तेलों, चोकर, गेहूं के अंकुर और उससे निकले तेल, बादाम, मटर, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, अंगूर, पत्तागोभी, प्याज, लहसुन सब्जियों में दालो में प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं.

इसके अलावा यह टमाटर और चुकंदर में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. चोकरयुक्त आटे से विटामिन ई सबसे ज्यादा मात्रा में मिलता है, इसके सेवन से आपको विटामिन ई बदरपुर मात्रा में मिलेगा.

विटामिन ई की आवश्यकता हमारे शरीर को बहुत ज़्यादा होती हैं, इसके अलावा अगर आपको लगे कि फेफड़े सही से काम नहीं कर रहे हैं तो चिकित्‍सक से जरूर संपर्क करें.

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