एक बार मां बनने के बाद कुछ महिलाएं दोबारा से गर्भधारण करने की इच्छा रखती हैं, लेकिन कुछ कारणों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है आप यह सोच रही होंगी की इसके पीछे के क्या कारण हो सकते हैं जो आपको दूसरी बार गर्भवती होने में इतनी दिक्कते पैदा कर रहे हैं.
मां बनने के एहसास को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है यह एक बेहद खूबसूरत एहसास है एक औरत के लिए मां बनने का एहसास इस तरह से है की यह उसे पूरा करता हैं.
एक बार मां बनने के बाद कुछ महिलाएं दोबारा से गर्भधारण करने की इच्छा रखती हैं, लेकिन कुछ कारणों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है या बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
यह समस्या कई महिलाओं के साथ देखने को मिलती है इसलिए इस पर परेशान होने से अच्छा है कि आप इस समस्याओं का समाधान ढूंढे और निराश और उदास ना हों और इस परेशानी का हल जानने की कोशिश करे की आखिर ऐसा हो क्यों हो रहा हैं.
ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो दूसरी बार गर्भधारण करना चाहती हैं लेकिन नहीं कर पाती तो आईये आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है.
स्वास्थ्य:
मां बनने के बाद अक्सर महिलाओं का वज़न बढ़ जाता है और कुछ महिलाएं तो अपना वज़न कम कर लेती हैं, लेकिन कुछ महिलाएं मां बनने के बाद इतनी उलझ जाती हैं कि वो वज़न कम नहीं कर पाती है ऐसे में दूसरी बार गर्भधारण करने में वज़न और अधिक बढ़ जाता है जिससे समस्याएं होने लगती हैं जिससे प्रेगनेंसी में बहुत ज्यादा दिक्कते आने लगती हैं.
शराब और धूम्रपान:
कोई भी नशा अच्छा नहीं इसके आलावा शराब पीने और धूम्रपान करने से बचे क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य ख़राब करेगा और आपके दूसरी बार गर्भवती होने की संभावनाओं को कम कर देगा . यही नहीं पति को भी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए वर्ना उनकी अनियमित जीवनशैली से शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आ सकती है और आपको दूसरी बार प्रेग्नेंट होने में दिकत का सामना करना पड़ सकता हैं.
आयु:
दूसरी बार गर्भधारण करते समय अपनी उम्र का ख़्याल ज़रुर रखें क्योंकि जब किसी महिला की उम्र 35 साल के पार हो जाती है तो उसे गर्भधारण करने में समस्या आने लगती है गर्भधारण करने की सही उम्र 27 से 32 साल मानी जाती है यह समय गर्भवती होने का उत्तम हटा हैं.
जो महिलाएं 40 पार कर चुकी हैं उन्हें गर्भधारण करने में बहुत मुश्किल होती है इसलिए उन्हें विशेषज्ञ की सलाह लेनी चहिये और अपना इलाज करना चाहिए.
मासिक धर्म या ओव्यूलेशन का चक्कर:
अनियमित मासिक धर्म या ओव्यूलेशन और वजन में होने वाले बदलाव से गर्भधारण करने में दिकत होती है. महिलाओं में गर्भधारण करने में ओवुलेशन का अहम योगदान होता है. पीरियड के बाद दूसरे सप्ताह का समय ओवुलेशन का होता है तो इस दौरान यौन संबंध बनाने से गर्भधारण होता है.
शिशुओं के बीच ढाई साल का अंतर रखें:
अपने डॉक्टर से बात करें जिससे वो आपके स्वास्थ्य के आधार पर आपको गर्भधारण करने की सलाह दे सके विशेषज्ञों की राय में प्रसव या प्रसव के बाद कम से कम अठारह महीनों के बाद एक महिला को गर्भधारण करना चाहिए.
डॉक्टरों के अनुसार, बेहतर स्वास्थ्य के लिए शिशुओं के बीच कम से कम ढाई साल का अंतर रखना चाहिए जिससे आप और आपका बाबी स्वस्थ्य रहे.
अपने ओवुलेशन पीरियड का ध्यान रखें:
ओवुलेशन के दो से तीन दिन पहले महिलाएं सबसे ज्यादा फर्टाइल होती हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ का मानना है कि ओवुलेशन से कुछ दिन पहले संभोग ना करें क्योंकि इस समय शुक्राणुओं की संख्या बहुत ज्यादा होती है.
ओव्यलैशन से कुछ दिन पहले या उस दौरान महिलाओं की सर्वकल नरम, खुली हुई और गीली होती है. वहीं दूसरी तरफ ओवुलेशन बंद होने के बाद गर्भाशय ठोस, बंद और सूखी होती है. अपने ओवुलेशन को समझें जिससे आप आसानी से गर्भवती हो सकती हैं
बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखना क्यों जरुरी है:
नवजात शिशु और माँ का स्वास्थ्य इस पर निर्भर करता है कि दोनों बच्चों के बीच कितने समय का अंतर रहा है, क्योंकि इसी बीच माँ को अपने आहार का ध्यान रखना चहिये जिससे उसमें इतनी शक्ति हो जाए कि वह दूसरे बच्चे को जन्म दे सके.
अगर आप दूसरे बच्चे के बीच कम समय रखना चाहते हैं तो आप डिलीवरी की तारीख से छह सप्ताह बाद कोशिश कर सकते हैं लेकिन ढाई साल का अंतर सबसे सही रहेगा.
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