इलाज डॉट कॉम आज आपको डिप्रेशन के बारे में जागरूक करने जा रहा हैं, यहाँ हम आपको डिप्रेशन से जुड़े ऐसे तथ्य बातएंगे जो आपको लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे, आजकल की दौड़ भाग भरी ज़िन्दगी के कारण पांच में से तीन व्यक्ति ऐसे होते हैं जो डिप्रेशन के शिकार होते हैं, हम सभी को कभी ना कभी किसी स्टेज पर उदासी होती हैं लेकिन अगर यही उदासी लंबे समय के लिए हो जाती हैं आपको बड़ी प्रॉब्लम खड़ी हो सकती हैं.
आखिर डिप्रेशन हैं क्या:
डिप्रेशन एक ऐसी स्टेज होती हैं जहा व्यक्ति हर चीज़ को बहुत ज़्यादा नकारात्मक तरीके से देखने लगता हैं उसके चारो ओर सिर्फ उदासी और नकारात्मक ख्याल छाये रहते हैं, ज़िन्दगी से ऊब जाना या जीने की इच्छा खत्म हो जाना हैं, किसी भी चीज़ में खुश ना होना यह स्तिथिया जब किसी के जीवन में डेरा दाल लेती नहीं तो इसे डिप्रेशन होना कहते हैं.
एक शोध के अनुसार डिप्रेशन के मरीज़ों के साथ ऐसा होता हैं की वो किसी भी बात को लेकर खुश नहीं होते हैं एक सामान्य व्यक्ति जिन छोटी-छोटी बातो को ले कर खुश हो जाता हैं, इसका ठीक उलटा डिप्रेशन के मरीज़ों के साथ होता हैं वो कोई भी बात हो चाहे छोटी हो या बड़ी हर बात को नेगेटिव रूप में देखता हैं, और अंदर ही अंदर उन बातो को ले कर घुटने लगता हैं, जिससे उसका जीवन नरक बन जाता हैं, और वो खुद की अपनी पर्सनालिटी को भूल कर कुछ और ही बन जाता हैं.
क्यों होता हैं डिप्रेशन:
आजकल की इतनी फ़ास्ट ज़िन्दगी में कुछ लोग खुद को इस ज़िन्दगी में ढाल नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण वो कही ना कही अपने रिश्तेदारो से और अपने दोस्तों से पीछे रह जाते हैं, जिसके कारण लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं..
इसके अलावा पढ़ाई के प्रेशर और पैसो की तंगी के कारण भी लोग अपने सपने को पूरा ना कर पाने के कारण डिप्रेस्ड रहने लगते हैं जिनकी यह उदासी कुछ दिन में डिप्रेशन में बदल जाती हैं.
एक शोध के अनुसार आजकल के यंगस्टर्स अपने प्यार में नाकाम होने के कारण डिप्रेशन में चले जाते हैं और बहुत से ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमे यह देखा गया हैं की टीनएजर्स जो प्यार में असफल हो जाते हैं वो डिप्रेशन के चलते आत्महत्या कर लेते हैं.
कभी-कभी लोग अपने खराब लुक्स के कारण हमेशा उदास रहते हैं, ऐसे लोग हीनभावना के शिकार हो जाते हैं और कही भी आने जाने से पेहेज़ करने लगते हैं और अपने आपको कमरे में बन्द कर लेते हैं. इसके अलावा डिप्रेशन एक और भी बहुत कारण होते हैं.
डिप्रेशन के लक्षण:
इलाज डॉट कॉम के एक्सपर्ट्स के अनुसार कई बार डिप्रेशन के मरीज़ों के साथ ऐसा होता हैं की उन्हें समझ ही नहीं आता हैं के वो डिप्रेशन के शिकार हैं, इसीलिए आपको डिप्रेशन के बारे में जानकारी होना ज़रूरी होता हैं, ऐसे में बहुत ज़रूरी हैं की आपको डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में पता हो.
इसी सन्दर्भ में डिप्रेशन के बारे में जाकरूकता फैलाने के लिए और मरीज़ों के इलाज के लिए भारत की मशहूर अदाकारा दीपिका पादुकोण भी इसे लेकर एक मुहीम चला रही हैं, क्योंकि वो भी डिप्रेशन की शिकार हो चुकी हैं और इसका इलाज करवा चुकी हैं.
क्या होते हैं डिप्रेशन के लक्षण:
हर वक़्त नेगेटिव सोचना:
डिप्रेशन के मरीज़ हर चीज़ के बारे नेगेटिव राय रखते हैं, कहने का मतलब यह हैं की जिन बातो को आप अच्छा समझ रहे हैं जो खुश होने वाली बाते हैं, जैसे बच्चे का एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना, किसी का प्रमोशन होना या इसी तरह की कोई बात ऐसे लोग इन बातो का बुरा मनाते हैं और किसी की ख़ुशी में खुश नहीं होते हैं उलटा उसका नेगेटिव असर अपने ऊपर लेते हैं.
अकेले रहना:
जो लोग डिप्रेशन के शिकार होते हैं, वो अकेले रहना पसंद करते नहीं, उन्हें ना कही जाना अच्छा लगता हैं और किसी से मिलना जुलना उन्हें पसन्द होता हैं, वो चाहते हैं की वो एक अकेले कमरे में हमेशा बन्द रहे जहां ना कोई उन्हें परेशान करे ना कोई उनसे बात करे.
नींद ना आना:
ऐसे लोगो को नींद नहीं आती हैं या उनकी नींद बहुत ज़्यादा कम हो जाती हैं क्योंकि ना चाहते हुए भी उनके दिमाग में कोई ना कोई बात चला करती हैं, जिसे लेकर या तो वो इनसेक्योर होते हैं, या उन्हें किसी चीज़ का भय होता हैं, ऐसे लोगो को रात में डरावने वा अजीबो गरीब सपने भी आते हैं, जैसे वो किसी जगह फसे हो वहा से निकल ना पा रहे हो या फिर वो कसीस चीज़ के पीछे भाग रहे हो या अपनी मौत के सपने आदि.
भूख ना लगना:
ऐसे लोगो की भूख भी बहुत ज़्यादा कम हो जाती हैं इसके यह तक वो स्वादिष्ट भोजन खाने में भी अपनी रूचि नहीं दिखाते हैं. और कई बार ऐसे लोग सारा दिन भूखे तक रहते हैं.
किसी भी काम में रूचि ना लेना:
जो लोग अवसाद से घिरे होते हैं, वो किसी भी काम को करने में रूचि नहीं दिखाते हैं, सुबह उठते ही उन्हें आलस आने लगता हैं इसके अलावा वो ना घर के कामो में रूचि लेते हैं और ना ही अपने काम ढंग से कर पाते हैं, ऐसे लोग खुद को सजने सवारने में या नहाने में और शेविंग वगैरह करने में बहुत ज़्यादा आलास दिखाते हैं. उनका किसी काम में मन नहीं लगता हैं.
हर वक़्त यह लगना की उनकी बुराई हो रही हैं:
जो लोग अवसाद से पीड़ित होते हैं, अगर उनके घर में या बाहर उनकी जान पहचान में अगर लोग आपस में बात कररहे होते हैं तो उन्हें यह लगता हैं उनकी बुराई हो रही हैं कोई उन्हें पसंद नहीं करता या कोई उनसे मिलना या बात करना नहीं चाहता हैं, इस प्रकार के नकारत्मक विचारो से ऐसे लोग घिरे रहते हैं.
लड़ना, झगड़ना या पागलो वाली हरकते करना:
ऐसे लोग बिना बात के किसी से भी लड़ाई झगड़ा करने लगते हैं बिना सोचे समझे, और हर बात को तूल देने लगते नहीं इसके अलावा ऐसे लोग कभी-कभी अजीबो गरीब पागलो वाली हरकते करने लगते हैं. कभी-कभी ज़ोर से ज़ोर से रोने लगते हैं, तो कभी हँसने लगते हैं, अपना दुखड़ा किसी से भी रोने लगते हैं, और कभी-कभी ऐसे लोग खुद को फिजिकली खुद को नुक्सान भी पहुँचाते हैं.
आत्महत्या के विचार बनाना :
डिप्रेशन जब बहुत ज़्यादा हाई लेवल पर हो जाता हैं तो ऐसे लोग अपनी ज़िन्दगी खत्म आने के मंसूबे बनाने लग्नमें लगते हैं, वो सोचगते हैं की उनकी ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं हैं या उनका होना या ना होना सबके के लिए एक बराबर है, पता नहीं वो ज़िंदा ही क्यों हैं ऐसी सोचो के कारण वो आत्महत्या करने के ख्याल भी बनाना लगते हैं.
सर में भारीपन रहना वा थका-थका फील करना:
डिप्रेशन के मरीज़ हमेशा सर में भारीपन होने की शिकायत करते हैं, और बहुत ज़्यादा लेज़ी होपाते हैं वो हघण्टो तक एक ही जगह में बैठे रहते हैं, और कही भी जाने के लिए हज़ार बहाने बनाते हैं. कुछ मरीज़ों को हर वक़्त उलटी जैसा फील होता रहता हैं. बीपी लो रहता हैं, और कुछ तो पूरा-पूरा दिन लेटे हुए ही गुज़ार देते हैं.
हमारी राय यही हैं की अगर आप अपने अंदर या अपने दोस्तों में या किसी जान पहचान के लोगो में ऐसे लक्षण देखे तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करे, और अपनी परेशानियों को बताये, आप यह ना सोचे के लोग आपको पागल कहेंगे इससे निपटने के लिए और अपनी ज़िन्दगी में वापस लौटने के लिए बिना किसी शर्म के अपनी प्रोब्लेम्स लोगो को बताये और इसका इलाज कराये.
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