भारत में आज भी अरेंज मैरिज का ही चलन ज़्यादातर माँ-बाप ही अपने बच्चो के लिए जीवनसाथी का चुनाव करते हैं, इस कारण कही न कही भावी पत्नी पत्नी को एक दूसरे को समझने के लिए ज़्यादा समय नहीं मिल पाता हैं जिसके कारण उन्हें शादी होने के बाद एक दूसरे को समझने में थोड़ा वक़्त लग जाता हैं. ख़ास कर लड़कियों के लिए और भी मुश्किल हो जाती हैं क्योंकि उन्हें पति के साथ-साथ उनके पूरे परिवार को भी समझना होता हैं.

लड़कियों को उनके मायके से ही कई तरह की बाते समझा कर भेजी जाती हैं की किस तरह से रहना हैं या क्याबात करनी हैं, क्या करना हैं क्या नहीं, जिसके चलते लड़कियां काफी घबराई वा सहमी रहती हैं.

इसीलिए शादी के पहले साल लड़कियों के मन में कई प्रकार के सवाल होते हैं जिसके चलते वो कई बार कई कारणों से परेशान हो जाती हैं अनजान जगह नए सिरे से खुद को ढालना पति की वा ससुराल वालो की ज़रूरतों का ख़याल करना कोई गलती न हो जाए इस बात का दे बने रहना आदि दिक्कते आती हैं.

कई बार तो इन सब चीज़ों को लेकर परेशानियां इतनी बढ़ जाती हैं कि शादी के नाम से ही चिढ़ होने लगती है, समझ ही नहीं आता है कि आखिर शादी की ही क्यों? इससे बेहतर तो हम अपने घर पर थे.

यह हैं वो बाते जो शादी के पहले साल लड़कियों के मन में आती हैं:

सबसे पहला सवाल यही आता हैं की मैंने इस आदमी से शादी की ही क्यों:
लड़कियों के मन में शादी के बाद अमूमन यही ख़याल आता हैं की आखिर मेरे मम्मी पापा ने इस लड़के में देखा क्या या मैंने इस लड़के से शादी की ही क्यों काश मैंने अपना फैसला बदल लिया होता तो यहाँ ना फसती.. अपने घर पर ऐश से रहती, ऐसी बाते लड़कियों के दिमाग में तब आती हैं जब वा अपने पति से किसी बात पर बहुत नाराज़ होती हैं.

Couple sitting on sofa looking angry, touching hands
Couple sitting on sofa looking angry, touching hands

क्या मुझे घर खर्च के लिए अब पैसे मांगने पड़ेंगे:
शादी के पहले साल लड़कियों के दिमाग में यही बात हैं की अब मुझे घर खर्च के लिए बार-बार पैसे मांगने पड़ेंगे,मैं ही क्यों पैसे मांगो क्या उनका घर नहीं हैं, उनका भी तो घर हैं या उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास नहीं हैं जो मैं याद क्यों दिलाऊं, दरअसल लड़कियां शुरू में अपने पति से मांगने में संकोच करती हैं जिसके कारण उन्हें ज़रूरत तो होती हैं लेकिन वो यही सोचती हैं के उनके पति को याद होना चाहिए.

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जब मैं साथ होती हूँ तो यह हँसते ही नहीं हैं:
लड़कियों के मन में यह बात बहुत आती हैं की जब भी उनके पति उनके साथ होते हैं तो उनका मुह बना होता हैं या वो बिलकुल भी हँसना नहीं पसंद नहीं करते इससे उनके मन में यह भी ख़याल आता हैं की लोग यही सोचते होंगे के हमारी शादी में कुछ दिक्कत हैं या हमारी कोई अनबन हुई हैं.

मेरे पापा ने भी कभी मुझसे ऐसे बात नहीं की:
अगर लड़कियों की कभी अपने पति से लड़ाई होती हैं और उनके पति उन्हें कोई ऐसी बात कह देते हैं जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं होती तो वो यही सोचती हैं की कभी मेरे पिता ने भी ऐसी कोई बात नहीं की मुझसे जिस प्रकार ये कर रहे हैं.

इस घर में मेरा साथ देने वाला कोई नहीं हैं, यहाँ मैं बिलकुल अकेली हूँ:
लड़कियों को शादी के पहले साल बहुत अकेला महसूस होता हैं या जब उनकी तबीयत खराब होती हैं और वो किसी बात को ले कर परेशान होती हैं तो उनके मन में यही ख़याल आता हैं की वो अपने ससुराल में अकेली हैं और यहाँ उनका साथ कोई नहीं देना चाहते हैं.

इनके घर की पार्टी में जाने से अच्छा मई बीमार पड़ जाऊं:
शादी के पहले साल लड़कियां इतनी घबराई होती हैं की वो घर की पार्टी में जाने से घबराती हैं और सोचती हैं की उन्हें बस किसी भी प्रकार से वहा जाना ना पड़े.

इन्हें मेरी कोई फ़िक्र नहीं, पता नहीं कैसे पति हैं:
यह सिर्फ मेरे नाम के पति हैं इन्हें मेरी कोई चिंता नहीं ना यह मुझसे पूयर करते हैं ना मुझसे खुश हैं, यह सारी बाते शादी के पहले साल दिमाग में बहुत आती हैं, जो की उनका भ्रम होता हैं हो सकता हैं हो सकता हैं की उनके पति किसी काम के चलते परेशान हो या फिर वो थोड़े शर्मीले नेचर के हो.

शादी के पहले साल ये परेशानियां ज्यादा गंभीर लगती हैं, फिर चीजें धीरे-धीरे सामान्य होने लगती है .

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