अस्थमा से आप सभी परिचित होंगे, अस्थमा या कुछ लोग इस दमा भी बोलते है इस बीमारी में सांस लेने में तकलीफ होती है जिस कारण व्यक्ति को खासी आने लगती है छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है इस स्थिति को दमा बोलते है, अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है सांस लेने वाली नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं.
अस्थमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता जाती है यह सूजन नलिकाओं को बेहद भावुक बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं अस्थमा के रोगी को सांस फूलने या साँस न आने के दौरे बार-बार पड़ते हैं और उन दौरों के बीच वह अकसर पूरी तरह सामान्य भी हो जाता है.
वैसे तो दमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है,ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके अस्थमा तब तक ही नियंत्रण में रहता है, जब तक मरीज जरूरी सावधाननियां बरतता रहता है” दिवाली बहुत ही बड़ा और खास तेहवार होता है लेकिन इस तेहवार में जले जाने वाले पटको से जो धुआं निकलता है उस धुंए से दमा पीड़ित लोगो को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है क्यों कि धुंए के कारण वातावरण में बदलाव आ जाते है शहरों में पोल्यूशन बढने की वजह से अस्थमा रोगियों की संख्यां हर रोज बढ़ रही है, यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को हो सकता है.
दमा रोग के लक्षण:-
इस रोग के लक्षण व्यक्ति के अनुसार बदलते हैं जब दमा रोग से पीड़ित रोगी का रोग बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उसे दौरा आने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिससे रोगी को सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत आती है तथा व्यक्ति छटपटाने लगता है जब दमा रोग से पीड़ित रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी खांसी होती है. इस रोग से पीड़ित रोगी चाहे कितना भी बलगम निकालने के लिए कोशिश करे लेकिन फिर भी बलगम बाहर नहीं निकलता है.
इसके मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
दमा रोग से पीड़ित रोगी को रोग के शुरुआती समय में खांसी, सरसराहट और सांस उखड़ने के दौरे पड़ने लगते हैं.
दमा रोग से पीड़ित रोगी को वैसे तो दौरे कभी भी पड़ सकते हैं लेकिन रात के समय में लगभग 2 बजे के बाद दौरे अधिक पड़ते हैं.
दमा रोग से पीड़ित रोगी को कफ सख्त, बदबूदार तथा डोरीदार निकलता है.
दमा रोग से पीड़ित रोगी को सांस लेनें में बहुत अधिक कठिनाई होती है.
सांस लेते समय अधिक जोर लगाने पर रोगी का चेहरा लाल हो जाता है.
लगातार छींक आना.
सामान्यतया अचानक शुरू होता है.
रात या अहले सुबह बहुत तेज होता है.
ठंडी जगहों पर या व्यायाम करने से या भीषण गर्मी में तीखा होता है.
दवाओं के उपयोग से ठीक होता है, क्योंकि इससे नलिकाएं खुलती हैं.
बलगम के साथ या बगैर खांसी होती है.
सांस फूलना, जो व्यायाम या किसी गतिविधि के साथ तेज होती है.
शरीर के अंदर खिंचाव सांस लेने के साथ रीढ़ के पास त्वचा का खिंचाव.
दमा रोग होने का कारण:-
अब हम अस्थमा होने के कारणों पर प्रकाश डालते हैं ,यह कारणों से हो सकता है अनेक लोगों में यह एलर्जी मौसम, खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ इत्र, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थों से हो सकता हैं, कुछ लोग रुई के बारीक रेशे, आटे की धूल, कागज की धूल, कुछ फूलों के पराग, पशुओं के बाल, फफूँद और कॉकरोज जैसे कीड़े के प्रति एलर्जित होते हैं, जिन खाद्य पदार्थों से आमतौर पर एलर्जी होती है.
गेहूँ, आटा दूध, चॉकलेट, बींस की फलियाँ, आलू, सूअर और गाय का मांस इत्यादि शामिल हैं या फिर कुछ अन्य लोगों के शरीर का रसायन असामान्य होता है, जिसमें उनके शरीर के एंजाइम या फेफड़ों के भीतर मांसपेशियों की दोषपूर्ण प्रक्रिया शामिल होती है अनेक बार अस्थमा एलर्जिक और गैर-एलर्जीवाली स्थितियों के मेल से भड़कता है. एक अनुमान के अनुसार, जब माता-पिता दोनों को अस्थमा या हे फीवर होता है तो ऐसे 75 से 100 प्रतिशत माता-पिता के बच्चों में भी एलर्जी की संभावनाएँ पाई जाती हैं.
इसके कुछ मुख्य कारण ये हैं
खान-पान के गलत तरीके से दमा रोग हो सकता है.
मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय के कारण भी दमा रोग हो सकता है.
खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाने के कारण भी दमा रोग हो सकता है.
नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण दमा रोग हो सकता है.
खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहने से दमा रोग हो सकता है.
नजला रोग होने के समय में संभोग क्रिया करने से दमा रोग हो सकता है.
भूख से अधिक भोजन खाने से दमा रोग हो सकता है.
मिर्च-मसाले, तले-भुने खाद्य पदार्थों तथा गरिष्ठ भोजन करने से दमा रोग हो सकता है.
फेफड़ों में कमजोरी, हृदय में कमजोरी, गुर्दों में कमजोरी, आंतों में कमजोरी, स्नायुमण्डल में कमजोरी तथा नाकड़ा रोग हो जाने के कारण दमा रोग हो जाता है.
मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने के कारण दमा रोग हो सकता है.
धूल के कण, खोपड़ी के खुरण्ड, कुछ पौधों के पुष्परज, अण्डे तथा ऐसे ही बहुत सारे प्रत्यूजनक पदार्थों का भोजन में अधिक सेवन करने के कारण दमा रोग हो सकता है.
मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन करने से भी दमा रोग हो सकता है.
मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से दमा रोग हो सकता है.
धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के साथ रहने या धूम्रपान करने से दमा रोग हो सकता है।यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला तंबाकू के धुएं के बीच रहती है, तो उसके बच्चे को अस्थमा होने का खतरा होता है.
औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ सूख जाने से दमा रोग हो जाता है.
जानवरों से जानवरों की त्वचा, बाल, पंख या रोयें से दमा रोग हो जाता है.
ठंडी हवा या मौसमी बदलाव से दमा रोग हो जाता है.
मजबूत भावनात्मक मनोभाव जैसे रोना या लगातार हंसना और तनाव से दमा रोग हो जाता है.
पारिवारिक इतिहास, जैसे की परिवार में पहले किसी को अस्थमा रहा हो तो आप को अस्थमा होने की सम्भावना है.
मोटापे से भी अस्थमा हो सकता है, अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
सिर्फ पदार्थ ही नहीं बल्कि भावनाओं से भी दमे का दौरा शुरू हो सकता है जैसे क्रोध, रोना व विभिन्न प्रकार की उत्तेजनाएं.
अस्थमा के घरेलू उपचार:
अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है सुबह और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है.
दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है.
180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है.
अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएं दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है.
अनुसंधान में यह देखने में आया है कि आंवला दमा रोग में अमृत समान गुणकारी है एक चम्मच आंवला रस मे दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं.
एक केला छिलके सहित भोभर या हल्की आंच पर भुनलें छिलका उतारने के बाद10 नग काली मिर्च का पावडर उस पर बुरककर खाने से श्वास की कठिनाई तुरंत दूर होती है.
10ग्राम मैथी के बीज एक गिलास पानी मे उबालें तीसरा हिस्सा रह जाने पर ठंडा करलें और पी जाएं यह उपाय दमे के अलावा शरीर के अन्य अनेकों रोगों में फ़यदेमंद है.
एक अनुभूत उपचार यह है कि दमा रोगी को हर रोज सुबह के वक्त 3-4 छुहारा अच्छी तरह बारीक चबाकर खाना चाहिये अच्छे परिणाम आते हैं इससे फ़ेफ़डों को शक्ति मिलती है और सर्दी जुकाम का प्रकोप कम हो जाता है.
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