एसटीडी या फिर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ को लेकर लोगो में कई प्रकार के मिथ और भ्रांतियां होती हैं जिसके चलते लोग काफी परेशान होते हैं ऐसी बिमारिया संक्रमण के कारण होती हैं, यह संक्रमण लोगो में सेक्स करते वक़्त एक दूसरे में ट्रांसमिट होता हैं. जिसे एसटीडी रोग कहा जाता हैं. संक्रमित बिमारियां आजकल वास्तविकता में सामान्य हो चुकी है.

चाहे लोग कही भी रहे लेकिन उन्हें इस प्रकार की बिमारियां होना सामान्य हो गया हैं, एसटीडी के कारण होने वाली बिमारियों का मुख्या कारण हैं की लोग किसी के साथ भी यौन सम्बन्ध बनाने को तैयार हो जाते हैं वो यह पता करना भी ज़रूरी नहीं समझते के कही उस व्यक्ति को किसी प्रकार की यौन सम्बंधित बिमारी तो नहीं हैं जिसके चलते लोग एसटीडी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

कैसे होती हैं यौन संक्रमित बिमारिया (एसटीडी):

यौन संक्रमण बिमारियां (एसटीडी) दूसरे लोगों के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित करने के कारण होते हैं, अगर आप यौन सहयोगी का चुनाव बिना किसी सावधानी के कर रहे हैं तो यह आपको भी अपना शिकार बना सकती हैं, यह बिमारी आजकल ज़ुकाम और फ्लू के बाद एसटीडी भी पूरे विश्व में फैली हुयी बीमारी है, और इससे सम्बंधित नए प्रकार की बीमारियों के मामले हर साल सामने आ रहे हैं , कोई भी किसी अन्य के साथ योनि, गुदा या मुख सेक्स कर रहा है तो उसे यौन संक्रमित बीमारी होने की आशंका है.

लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उनको एसटीडी की बिमारी हुई हैं, गुप्त रोगों का इलाज, प्राय: एसटीडी के रोगी में किसी भी प्रकार के कोई लक्षण नहीं दिखायी पड़ते है, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य को कई प्रकार से प्रभावित करता है.

कुछ एसटीडी बीमारियां:

यौन संक्रमित बीमारियाँ कई प्रकार की होती हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग इनके लक्षणों से अवगत नहीं होते हैं , हम यहाँ आपको ऐसी ही यौन संक्रामक बीमारियों से अवगत होने के बारे में सुझाव देंगे जो आपको इन बीमारियों के लक्षणों से अवगत कराएगा फिर आप अच्छे से जान सकेंगे के आपको कही कोई एसटीडी बिमारी तो नहीं अगर आप एक बार इसके लक्षण को समझ लेंगे तो आप इसका सही प्रकार से करवाने में सफल होंगे.

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क्लेमायडिआ और गोनोर्र्हिआ:
यह एक प्रकार का एसटीडी रोग होता हैं जिसके लक्षण एक सप्ताह बाद नज़र आते हैं, इसके लक्षण है पेशाब के साथ दर्द, पेड़ू में दर्द, योनि क्षेत्र में खुजली, मासिक धर्म के बीच योनि रक्तस्राव आदि हैं. अगर आपमें यह लक्षण हैं तो आप इस एसटीडी बिमारी से पीड़ित हो सकते हैं, इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ ना करे और तुरंत डॉक्टर को दिखाए.

ह्यूमन पापिल्लोमावायरस (एचपीवी) :
यह बिमारी भी लोगो में सेक्स करते वक़्त ट्रांसमिट होती हैं जो की एक प्रकार की संक्रामक बिमारी होती हैं, अन्य एसटीडी की भांति इसका भी कोई लक्षण नहीं होता हैं, कुछ प्रकार के एचपीवी मस्से का कारण होते हैं, कुछ प्रकार के एचपीवी लोगों में कैंसर का कारण भी बनते हैं, जो की खतरनाक साबित हो सकते हैं.

सिफलिस :
यह भी एक प्रकार की एसटीडी बिमारी होती हैं ,सिफलिस बिमारी एक स्पाइरोकीट नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, इसका प्रमुख लक्षण संक्रमण के स्थान पर दर्दरहित फोड़ा, मस्सा या चकत्ता होता है, प्रारम्भिक चरण में सिफलिस का उपचार आसानी से होता है. लेकिन अगर इसका उपचार सही समय पर ना किया जाए तो यह खतरनाक भी हो जाता हैं.

जेनिटल हर्पिस (एसटीडी बिमारी ):
हर्पीस का सबसे मुख्या लक्षण होता हैं, संक्रमित क्षेत्र में चारो तरफ लाल वा बड़े-बड़े फोड़े होना, इसमें पुरुषों और महिलाओं के जननांगों के चारों ओर फोड़ा है, ये फोड़े लाल दाग, फुंसी या फोड़ा के रूप में हो सकता है. यह एक प्रकार की स्किन डिसीज़ होती हैं जो की एसटीडी बिमारी होती हैं.

हर्पीस के लक्षण इस प्रकार हैं:
इसके रोगियों में भूख में कमी हो जाती हैं.
घुटनों, कूल्हों, निचले पीठ के साथ साथ जांघों में बहुत दर्द होता हैं.
जांघों, गुदा, कुल्हो और लिंग के आस पास फोड़ा बनना.
बार बार बुखार आजाना.
जीभ, होठ, मसूढ़े और शरीर के अन्य अंगों पर फोड़ा होना.

स्कैबीज़: इस एसटीडी बिमारी के लक्षण इस प्रकार हैं.
कुल्हो, लिंग, कंधों आदि पर खुजली और चकत्ता होना.
त्वचा में छेद हो जाना.
सहयोगी के साथ यौन सम्बंध के दौरान असहज महसूस होना या किसी प्रकार की दिक्कत होना.

ट्राइकोमोनाइसिस (एसटीडी रोग ):
हरा योनि स्राव होते रहना.
योनि मुख में अधिक सूजन आजाना.
मादा जनानांग में सूजन
पेशाब करते समय दर्द होना.
पीला योनि स्राव होना.

म्युकोप्युरुलेंट सर्वाइसाइटिस(एसटीडी रोग):
महिला सहयोगी यौन सम्बंध के समय रक्त स्राव करती है.
मासिक धर्म के दौरान दाग आजाते हैं.
अनियमित योनि स्राव होते रहना.
यौन सम्बंध के दौरान ज़्यादा दर्द होना.
निचले पेड़ू में दर्द होना.

एसटीडी का उपचार किस प्रकार करे:

अपने यौन सहयोगी को जानें और अपने यौन सहयोगियों की संख्या को सीमित रखें, कंडोम का उपयोग करें और जोखिम भरे यौन अभ्यासों से अपने आपको बचायें रखे इस प्रकार आप एसटीडी की बिमारी से खुद को बचा कर रख सकते हैं, एसटीडी से बचने का सिर्फ एक ही उपाय हैं बचाव और सेक्स करते वक़्त सावधानी बरतना अपने पार्टनर को चुनते वक़्त सावधानी रखना भी ज़रूरी हैं.

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