आजकल आपको जगह जगह स्वास्थ्य शिविर लगे दिखाई देते होंगे. इन स्वास्थ्य शिविर में हेपेटाईटिस B और टाइफाइड के टीके लगाये जाते है. क्या अपने कभी सोचा है की क्यों स्वास्थ्य शिविरों में इन बीमारियों के टीके लगाए जा रहे है.
चलिए हम आपको बताते है इन दोनों बीमारियों के बारे में.
हेपेटाईटिस B वायरस ( HBV ) से होने वाली लीवर की बीमारी को हेपेटाईटिस B कहते है. हेपेटाईटिस B वायरस लीवर की कोशिकाओ को संक्रमित कर उन्हें धीरे धीरे मार डालता है जिससे लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर तथा अंत में मृत्यु भी हो सकती है. हेपेटाईटिस B किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है. इनमे फिर चाहे बच्चे हो या बड़े. हेपेटाईटिस B से पूरे भारतवर्ष में हर साल 2 लाख लोगो की असमय मृत्यु हो जाती है.
हेपेटाईटिस B फैलता कैसे है ?
हेपेटाईटिस B एक संक्रमित बीमारी है. इसका मतलब यह किसी संक्रमित व्यक्ति से किसी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकती है. हेपेटाईटिस B का वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के रक्त तथा शरीर के द्रव्यों जैसे पसीने, लार, आंसू और जननांगो के स्त्रावो में मौजूद होता है. हेपेटाईटिस B मुख्य रूप से हो सकता है , संक्रमित रक्त चढाने से , संक्रमित शरीर के द्रव्यों से , संक्रमित सिरिंजो/सुइंयो से, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से और संक्रमित माँ से उसके बच्चे को.
बचाव
हेपेटाईटिस B बीमारी का कोई निश्चित इलाज अभी तक उपलब्ध नही है. इस बीमारी से बचने के लिए आपको समय समय पर हेपेटाईटिस B के टीके लगवाते रहना चाहिए.
क्या है टाइफाइड
टाइफाइड , सालमोनेला टाइफी नामक जीवाणु से फैलने वाली बीमारी है. टाइफाइड भी एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए इसके फैलने के ज्यादा सम्भावना रहती है. टाइफाइड में मरीज को बुखार आना एक आम बात है. ज्यादातर यह बीमारी दूषित पानी पीने से, बाहर का खाना खाने से, बिना ढका खाने से या किसी संक्रमित व्यक्ति से होती है.
टाइफाइड से बुखार का दिमाग में चढ़ना, आंतो में सूजन तथा पित्त की थैली में पत्थरी होने की सम्भावना हो जाती है. अगर किसी व्यक्ति को पहले टाइफाइड हो चूका है तो इसके 95 फीसदी दोबारा होने की सम्भावना बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए भी आपको समय समय पर स्वास्थ्य शिविर में जाकर टीके लगवाने चाहिए.
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